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कोरोना काल में तस्कर बेखौफ, लकड़ी की तस्करी बढ़ी

  • चोर रास्तों से ठिकाने लगाई जा रही है बेशकीमती लकड़ी

By Naveen Joshi 

खटीमा। कोरोना काल में लाॅकडाउन, अनलाॅक और बरसात के मौसम का लकड़ी तस्कर भरपूर फायदा उठा रहे हैं। बेखौफ तस्कर इन दिनों जंगल से बेशकीमती लकड़ी काटकर चोर रास्तों से ले जा रहे हैं और महंगे दामों पर बेचकर लाखों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। इससे वन संपदा को काफी नुकसान हो रहा है।

सूत्रों के अनुसार इन दिनों तस्करों की नजर बेशकीमती वनसंपदा पर लगी हुई है। ये लोग ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के अलावा लग्जरी वाहनों से भी लकड़ी की तस्करी कर रहे हैं, जिसे रातों-रात ठिकाने लगा रहे हैं। हालांकि, वन विभाग ने कई जगह जंगल और सड़क के बीच में गहरी खाई खोदी हुई है, ताकि तस्कर जंगल से लकड़ी चोरी नहीं कर सकें। बावजूद इसके चकरपुर-बनबसा के बीच में पड़ने वाले जंगल में तस्करों ने कई स्थानों पर ऐसे चोर रास्ते बना लिए हैं, जहां से वे अपने वाहन पर लकड़ियों के गिल्टे बनाकर आसानी से ले सकें। करीब 15 दिन पहले मुखबिर की सूचना पर वन विभाग की टीम ने तस्करों द्वारा दो लग्जरी वाहनों में भरकर ले जाए जा रहे सागौन के गिल्टे पकड़े थे। ये तस्कर वाहन समेत पीलीभीत रोड स्थित एक टाॅल पर घुसे थे और वाहन छोड़कर फरार हो गए थे।

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चकरपुर-बनबसा के बीच जंगल में बने इन्हीं चोर रास्तों से होती है तस्करी।

शुक्रवार रात भी वन विभाग के गश्ती दल ने सागौन की लकड़ी काटते दो तस्करों को दबोचा है, जबकि दो अन्य फरार हो गए, जिनकी तलाश की जा रही है। लगभग कोई ऐसा दिन नहीं है जिस दिन तस्करों के वाहन इन जंगलों में न घूमते हों। सूत्रों के अनुसार तस्कर एक-दो दिन तक जंगल की रेकी करते हैं, इसके बाद मौका पाकर जंगल में घुस जाते हैं और हरे पेड़ों को काटकर वहीं छोड़ देते हैं, फिर जब भी मौका मिलता है जंगल में घुसकर इन पेड़ों के गिल्टे बनाकर ठिकाने लगा देते हैं।

वन विभाग के एसडीओ बाबूलाल ने बताया कि तस्करों की धरपकड़ जोरों पर चल रही है। इस काम में मुखबिर लगाए हुए हैं, जिनकी सूचना पर अब तक कई तस्करों को दबोचकर कार्रवाई भी की जा चुकी है। साथ ही वन कर्मियों से जंगल में रात्रि गश्त तेज करने को कहा गया है। एसडीओ ने कहा कि जंगल से बेशकीमती लकड़ी की तस्करी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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