हुड़किया बौल में न काम पता चलता और न ही थकान का
लोकगीत और श्रम का अटूट रिश्ता रहा है। घस्यारियों (घास काटने वाली महिलाएं ) और ग्वालों के गीत जंगल को भी रंगीला बना देते हैं। माना जाता है कि गीत न केवल हमारे श्रम की रफ्तार को बढ़ते हैं बल्कि थकान भी महसूस नहीं होते देते। हुड़किया बौल भी इसी परंपरा का हिस्सा है। हुड़किया …