Uttarakhand DIPR
maharath

अमेरिकन महिला की दुआ से ललित को मिली बैगों में महारत

By JP Pandey

हल्द्वानी। काम की शुरुआत के लिए प्लानिंग और तमाम माथापच्ची करनी पड़ती हैं। इस सब के अलावा कभी दुआएं भी काम कर जाती हैं। ललित सिंह टाकुली के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने रोजी रोटी की शुरुआत मेडिकल और पैथलाजी के काम से की लेकिन अमेरिकन महिला की दुआ से बैगों के धंधे में महारत मिली। आज उनकी पहचान बैगों से है या कहें नेम और फेम दोनों उन्हें इससे मिली हैं। उनके इस उद्योग में 16 कारीगर काम कर रहे हैं। इसके अलावा मार्केटिंग टीम और डिजाइनर भी हैं।

बागेश्वर जिला निवासी ललित सिंह टाकुली मेडिकल के व्यवसाय से जुड़े थे। एक बार अमेरिकन डेली ने जूट के बैग दिलाने में उनसे मदद मांगी। बैग दिलाने की कसरत में जूट के बैग बनाने की शिल्प से उनका परिचय हुआ। कुछ नया करने की चाहत में वह जूट के बैग बनवाने लगे। ललित बताते हैं कि यह काम बगैर प्लानिंग के शुरू किया।  मेडिकल और बैग का एक दूसरे से कहीं से कहीं तक कोई लिंक नहीं था। 2018 में महार्थ ग्रामीण उद्योग नाम से फर्म बनायी और अमेरिकन महिला की जो सहायता की उनकी दुआ काम कर गयी। हल्द्वानी के आरटीओ रोड के हिम्मतपुर बैजनाथ स्थित वर्कशाॅप में बैगों की सिलाई चल पड़ी। 

maharath5

डिजाइनिंग पुष्कर, प्रिंटिंग गोपाल और आशा संभाल रहीं मार्केटिंग

सिलाई कारीगरों के साथ साथ बैगों की डिजाइनिंग पुष्कर सिंह बिष्ट करते हैं। बैगों में प्रिंटिंग का काम गोपाल चौहान जबकि आशा देव आनलाइन मार्केटिंग संभाल रही हैं। शुरुआत में तैयार माल की मार्केटिंग में परेशानी आयी, आनलाइन तकनीक इस समस्या को दूर करने में मददगार बनी। महार्थ ग्रामीण उद्योग में अभी आनलाइन और आफलाइन दोनों तरह से मार्केटिंग का काम हो रहा है।

maharath1

हल्द्वानी में पहली बार बड़े स्तर पर बैगों को बनाने का काम

महार्थ उद्योग में मुख्यत: बैग आर्डर पर तैयार किये जाते हैं। इस उद्योग ने नामी कंपनियों के लिए भी बैग बनाए हैं। एक दिन में 300 से लेकर 600 बैग तैयार किये जाते हैं। इसके लिए कच्चा माल कोलकाता, दिल्ली और मेरठ से आता है। ललित कहते हैं कि हल्द्वानी में पहली बार बड़े स्तर पर बैगों को बनाने का काम उनके उद्योग में हुआ है।

maharath4

बिजली की कटौती खड़ी करती है परेशानी

भले ही उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जा रहा है। विद्युत परियोजनाओं के अलावा ऊर्जा के अन्य स्रोतों पर भी काम हो रहा है। मगर उद्योगों के लिए बिजली का संकट अभी बना है। बैगों को सिलने वाली मशीनें बिजली से चलती हैं। बिजली कटौती से कई बार परेशानी खड़ी हो जाती है। बकौल ललित, बिजली की सप्लाई दुरुस्त होने से काम आसान हो जाएगा।

maharath3

जूट का बैग इको फ्रेंडली और सस्सा भी

जूट के बैग इको फ्रेंडली होने के साथ आकर्षक भी हैं। कीमत भी ज्यादा नहीं है। 20 से 25 रुपये तक में यह बैग तैयार हो जाता है। सरकारी विभागों और एनजीओ के कार्यक्रमों के लिए इनकी खासी डिमांड रहती है। मगर आम लोगों में इनका उतना क्रेज नहीं है।

maharath2

100 रुपए से लेकर 1200 में आकर्षक बैग

महार्थ उद्योग में जूट के बैगों के अलावा बैक पैक, जिम बैग, साइड बैग और लेडिज पर्स आदि तैयार किये जा रहे हैं। ज्यादा संख्या में बैग खरीदने के लिए पाल कालेज के पास महार्थ उद्योग के वर्कशाॅप या फिर www.maharathgraminudyog पर आनलाइन खरीद की जा सकती है। इसके अलावा नैनीताल रोड स्थित बाम्बे हास्पिटल के पास स्थित उद्योग के शो रूम से बैगों की फुटकर में खरीद की जा सकती है। यहां 100 रुपए से लेकर 1200 रुपए में आपको आकर्षक बैग मिल जाएंगे।

140820240458 1
Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top