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बागेश्वर। मुनस्यारी की राजमा को कौन नहीं जानता। स्वाद के लिए इसकी मांग खासी है। अब मुनस्यारी की राजमा को जियोग्राफिकल इंडेकेशन यानी जीआइ टैग मिल गया है। इसके बाद मुनस्यारी की राजमा की धाक और बढ़ गयी है। जीआई टैग उन उत्पादों को मिलता है जो विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होती हैं।
सात हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले मुनस्यारी के गांवों में यह राजमा पैदा होती है। अपने स्वाद के लिए विशेष पहचान रखती है। इसका उत्पादन जैविक तरीके से किया जाता है। यह पौष्टिक गुणों से भरपूर है। इन्हीं गुणों के चलते पूरे उत्तर भारत में इसकी मांग है, हालांकि मांग की तुलना में उत्पादन सीमित है। यही वजह है कि यह हल्द्वानी के बाजार तक ही पहुंच पाती है।