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पोषक तत्वों का भंडार है लिंगुड़ा की सब्जी

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प्रताप सिंह नेगी

देवभूमि उत्तराखंड को प्रकृति ने अपने अनमोल खजानों से नवाजा है। हरे भरे पहाड़ों की सुन्दरता, ऊंचे झरनों से बहता पानी, जंगलों में विचरण करते पशु-पक्षी और चहचहाती पक्षियां और बर्फ से ढकी ऊंची हिमाचल की चोटी। इन सबको देखकर बड़ा सुकून मिलता है। उत्तराखण्ड के जंगलों में कई ऐसी औषधियां और जड़ी बूटियां हैं जिनका प्रयोग हमारे पूर्वज वर्षों से करते आ रहे हैं। चाहे वह फल के रूप में हो, सब्जियों के रूप में हो या फिर किसी और रूप में हो। उत्तराखंड के जंगलों में अनेक प्रकार की औषधीय वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनका प्रयोग करके मानव खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकते हैं। जंगलों में स्वत: उगने वाली कई वनस्पतियों का प्रयोग लोग सब्जी के रूप में करते आए हैं, इन्हीं वनस्पतियों में एक खास सब्जी है लिंगुड़ा। लिंगुड़ा की सब्जी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती ही है, साथ ही इसकी सब्जी खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होती है। लिंगुड़ा को अलग-अलग जगहों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे- लिंगड़ा, लिंगड, ल्यूड।

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उत्तराखंड तथा अन्य हिमालयी राज्यों में जंगलों एवं नमी वाले स्थानों, गधेरों के किनारे उगने वाला लिंगुड़ा का वानस्पतिक नाम डिप्लॉजिम एस्क्युलेंटम है। यह खाद्य फर्न है। लिंगुड़ा भारत के लगभग सभी हिमालयी राज्यो में पाया जाता है। इसे असम में धेनकिर साक, सिक्ïिकम में निगरु, हिमाचल में लिंगरी नाम से जाना जाता है। दुनिया भर में लिंगुड़ा की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह समुद्रतल से 1900 से 2900 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। मलेशिया में इसे पुचुक पाकू और पाकू तांजुंग कहा जाता है तो फिलिपीन्स में ढेकिया,थाईलैंड में इसे फाक खुट, असम में धेंकिर शाक, सिक्कम में निंगरु, हिमाचल में लिंगरी, बंगाली में पलोई साग और उत्तर भारत में लिंगुड़ा नाम से जाना जाता है।

लिंगुड़ा की सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है। लिंगुड़ा में कैल्शियम, पोटेशियम आयरन, प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी काम्प्लेक्स, मिनरल्स, जिंक पौषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं।

लिंगुड़ की सब्जी कटहल की तरह बहुत स्वादिष्ट होती है और इसे बनाना बहुत आसान है। इसे बिना झंझट के बिलकुल उसी तरह छौंका जाता है जैसे हरी बीन्स। इसे बनाने में कटहल या मांस-मछली की तरह बहुत तेल-मसाले और मेहनत नहीं लगती, लेकिन इसका स्वाद किसी अच्छी सब्जी से कम नही। सब्जी के साथ ही इसका अचार भी बनाया जाता है।

स्वरोजगार भी बनाया जा सकता है लिंगुड़ा को

मशरूम की तरह की लिंगुड़ा की खेती करके इसे भी स्वरोजगार के तौर पर अपनाया जा सकता है। इसकी महत्ता को देखते हुए उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रो में रहने वाले लोग इसको अपनी आय का साधन बना सकते हैं।

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