By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
कालाहाण्डी में टोकन व्यवस्था को लेकर चालू ख़रीफ़ धान संग्रहण प्रक्रिया में भी किसानों को नहीं मिली राहत, जिसके चलते वे काफी परेशान हैं। चिन्ता व्यक्त की जा रही है कि टोकन विसंगति के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में बिचौलियों एवं दलालों का बोलबाला होगा एवं आर्थिक बोझ से दबे किसानों को समर्थन मूल्य से कम पर अपनी उपज बेचने मज़बूर होना पड़ेगा। समस्या को लेकर केसिंगा प्रखण्ड के किसान आन्दोलन पर उतारू होने का मन बनाने लगे हैं।
इतना ही नहीं, टोकन व्यवस्था को लेकर अब उसमें राजनीति भी प्रवेश करने लगी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार समीपस्थ कश्रुपड़ा पंचायत क्षेत्र के किसानों की अगुवाई करते हुये केसिंगा नगर कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश राव एवं ब्लॉक उपाध्यक्ष रजनीकांत पोढ़ द्वारा उक्त किसानों की बात विकासखंड अधिकारी के ज़रिये ज़िलाधीश कालाहाण्डी को प्रेषित करते हुये समस्या के शीघ्र समाधान की मांग की गयी है। इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी गयी है कि समस्या के त्वरित समाधान न होने की स्थिति में किसान सड़कों पर भी उतर सकते हैं।
ज्ञातव्य है कि मण्डियों में धान ख़रीदी प्रक्रिया में टोकन सहित तमाम समस्याएं यहां वर्षों से चली आ रही हैं, परन्तु इस बार टोकन व्यवस्था नियमों में सरकार द्वारा किये गये बदलाव के बावज़ूद समस्या दूर नहीं हुई। इसका कारण चालू ख़रीफ़ ऋतु में धान बिक्री हेतु ज़ारी टोकन में दर्शायी तिथि के अनुसार किसानों को अपनी बारी के लिये महीनों इंतज़ार करना पड़ सकता है। स्थित यह है कि फ़सल कट कर किसानों के घर पहुंच चुकी है, जबकि उन्हें मंडी में धान बेचने हेतु ज़ारी टोकन में आगामी जनवरी-फ़रवरी का समय दिया गया है।
ऐसी स्थिति में ज़रूरतमन्द किसान औने-पौने दामों पर अपनी फ़सल बेचने विवश हो सकते हैं। कश्रुपड़ा पंचायत क्षेत्र के किसान केशवचन्द्र भोई, देवेन्द्र भुजबल, दूर्वादल बिशी तथा टिकेमन भोई, जिन्होंने कि टोकन व्यवस्था के विरुद्ध ख़ास तौर पर आवाज़ उठाई है, का कहना है कि सरकारी दूरदृष्टि के अभाव का खामियाज़ा हर साल किसानों को ही भुगतान पड़ता है। इस परिप्रेक्ष्य में पूछे जाने पर मुख्य ज़िला आपूर्ति अधिकारी अशोक दास का कहना है कि -वे समस्या से वाकिफ़ हैं एवं समस्या समाधान हेतु अपने आला अधिकारियों से सम्पर्क में हैं।