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संस्कृत बाल साहित्य पर सिम्पोजियम का आयोजन

नई दिल्ली। साहित्य अकादमी दिल्ली तथा ऋषिहूड विश्वविद्यालय सोनीपत के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय संस्कृत बाल साहित्य पर सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। संस्कृत कवि, कथाकार, गीतकार, गज़लकार तथा पूर्व कुलपति पद्मश्री अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने संस्कृत बाल साहित्य को लेकर वेदों, पुराणों, धर्मशास्त्रों तथा उपनिषदों के पक्षों पर चर्चा करते हुए आज के प्रसंग में इसके फलसफे पर प्रकाश डाला और कहा कि संस्कृत भाषा के आधुनिक युग में अच्छे बाल साहित्य लिखे जा रहें हैं। लेकिन आज इसे प्रयोग का काल कहा जा सकता है जिस प्रयोगधर्मिता में प्रो सम्पदानन्द मिश्र भी उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। पद्मश्री मिश्र ने कहा कि वेद को आधार बना कर गुजरात में आयुर्वेद चिकित्सकों ने कुछ गर्भ काल केन्द्रों का निर्माण कर उसमें प्रसवाभिलाषिनी तथा आसन्नप्रसवा महिलाओं को परामर्श दिये जाते हैं।
सिम्पोजियम के बीज भाषण में राष्ट्रपति पुरस्कृत विद्वान प्रो सम्पदानन्द मिश्र ने संस्कृत बाल साहित्य की दिशा तथा दशा पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत बाल साहित्य के निर्माण में चल रहे अकादमिक मुद्दों पर भी प्रकाश डाला। साहित्य अकादमी के उप सचिव एन सुरेश बाबू ने अतिथियों का स्वागत करते लोकप्रिय बाल साहित्य पंचतंत्र की भी चर्चा की।

सिम्पोजियम के प्रथम सत्र में सुरचना त्रिवेदी, साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त कवि अरविन्द कुमार तिवारी तथा धनंजय शास्त्री ने क्रमश: बाल साहित्य के प्रकार परिचय तथा अनुवाद साहित्य पर प्रकाश डाला।
इस सिम्पोजियम के समापन सत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित विद्वान तथा समीक्षक अजय कुमार मिश्रा ने संस्कृत बाल साहित्य के रचनाधर्मिता की समस्या तथा गुणात्मक नवोन्मेषी संभावना के आयामों को लेकर अपने विचार रखते हुए कहा कि संस्कृत भाषा का आधुनिक बाल साहित्य में युगीन अर्थ तो जरूर झलकते हैं । लेकिन इस क्षेत्र में बाल मन को रीझाने वाले बिम्बों तथा कथानकों को अभी और सजाने संभालने की ज़रुरत है ताकि बच्चे पाठक के रुप में प्रौढ़ लेखक की मानसिकता तथा धुंधले बिम्ब के शिकार न बन सकें। साथ ही साथ बाल साहित्य की भाषा में ऐसी पोटेंसीयलीटी भी हो जिससे बच्चों को जूझना न पड़े ।
इस कार्यक्रम की सफलता को लेकर आत्मानंद गुरु के अध्यक्ष ने भी अपने विचार रखे तथा रामकृष्ण साधना केन्द्र के श्री भारद्वाज जी अपना वक्तव्य दिया। मंच का संचालन नीलाभ शर्मा ने किया। तकनीकी तथा आतिथ्य व्यवस्था सौरभ तथा अर्चना ने किया।

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