By Kirti Kapse, Delhi
ये कहानी रूस के प्रमुख पुतीन की है ,जो बीस वर्ष से अधिक अवधि से सत्ता पर क़ाबिज़ हैं ।
राजनेता ,जासूस ,मार्शलऑर्ट मास्टर ,पायलेट,टैंक चालने वाला सैनिक,अभेद निशानेबाज़, स्पोर्ट कार चालने वाला रेसर, बाइकर ,आइस हाँकी खेलने वाला खिलाड़ी ,पानी में शिकार करने वाला शिकारी और तैराक, घुड़सवार,पहाड़ों पर चढ़ने वाला क्लाइम्बर ,हम ऐसी शख्सियत की आज बात कर रहे हैं जो कि रूस का राष्ट्राध्यक्ष भी है। 7अक्टूबर 1952 को लेनिनग्राड जिसे अब सेंट पीटरबर्ग भी कहते है में पुतीन का जन्म हुआ।
पुतीन के पिता सोवियत नेवी का हिस्सा थे ,तो माँ फैक्ट्री वर्कर । जिस उम्र में बच्चे खिलाड़ी या डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं ,उस उम्र में पुतीन ने जासूस बनने का फ़ैसला कर लिया। पढ़ाई में होशियार पुतीन हमेशा पढ़ाई में अव्वल आते। पुतीन का बचपन ग़रीबी में बीता । जहाँ वो रहते थे वहाँ लड़कों में मारपीट आम बात थी , तो पुतीन ने सेल्फ़ डिफ़ेंस के लिए जूडो सीख लिया। पुतीन की ज़िन्दगी का मूल मंत्र था यदि लड़ाई होना तय है तो पहला पंच मारो ।
केजीबी दुनिया की सबसे ख़तरनाक एजेंसियों में से एक
चूहे पकड़ने वाला आम इंसान पहले जासूस और फिर राष्ट्रपति कैसे बना । स्कूल ख़त्म होने के बाद ही पुतीन जासूस बनने के सपने को पूरा करने में जुट गए।वो रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी के ऑफ़िस के चक्कर काटने लगे।उनकी ये इच्छा थी ,कि वे केजीबी के अधिकारी बने । लेकिन ये कैसे पूरा हो तो उसी केजीबी की एक महिला अधिकारी ने उन्हें क़ानून की डिग्री लेने की सलाह दी । जिसके बाद पुतीन ने लेनिनग्राड यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया, और साल 1975 में डिग्री ले ली। डिग्री मिलते ही पुतीन ने केजीबी में जासूस बनने के लिए एप्लाय कर दिया।अब फ़ैसला करने की बारी केजीबी की थी ।केजीबी दुनिया की सबसे ख़तरनाक एजेंसियों में से एक है ।पुतीन का जुनून ऐसा था कि आवेदन देने के साथ ही वो केजीबी के जासूस चुन लिए जाते है।और इसके बाद उन्हें पहले मिशन पर भेजा जाता है । उसके साथ ही शुरू होता है रूस के राष्ट्रपति बनने का सफ़र।
केजीबी में भर्ती होने के बाद पुतीन को लेनिनग्राड के ओक्ता ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया ।जहाँ उन्हें बंदूक़ चलाने से लेकर प्लेन उडाने तक की ट्रेनिंग दी गई । उसके बाद पुतीन को जर्मनी भेजा गया। पुतीन लगभग पंद्रह वर्ष तक अंडरकवर एजेंट बन कर ट्रांसलेशन का काम करते रहे ।मिशन पूरा होने के बाद 1990 में पुतीन वापस लौटे।और कुछ वक्त के लिए स्टेट यूनिवर्सिटी के ट्रेनिंग सेंटर में जासूस बन ने की ट्रेनिंग दी ।
मगर सोवियत संघ के पतन के बाद उन्होंने रिटायरमेंट का फ़ैसला ले लिया। सोलह साल की अपनी नौकरी के बाद 20 अगस्त 1991 को पुतीन कर्नल की पोस्ट से रिटायर हो गए। इसके बाद पुतीन ने शादी की, उनकी दो बेटियाँ भी हैं ।पुतीन काम में इतने उलझे हुए थे की परिवार को समय न दे पाने के चलते उनका तलाक़ हो गया । वे फिर वहीं आ गए जहाँ उनका बचपन बीता था। जाने माने नेता ऐनाटोली सोबचक के संग उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ, और वे उनके करीबी बन गए।
2000 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत गए
जब बाद में सोबचक लेनिंग्राद के मेयर बने तो उन्हें उपमेयर बना दिया गया। 1996 में राजनीतिक समीकरण बदले और सोबचक को हार का सामना करना पड़ा। तो पुतीन अपने पद से इस्तीफ़ा देकर मास्को चले गए।मास्को में पुतीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की टीम में जगह बनाने में कामयाब हो गए।और जल्द ही उन्हें राष्ट्रपति प्रशासक की बागडोर सौंप दी गई।पहले बोरिस येल्तसिन ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया 1999 में जब बोरिस येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया तो उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया।पुतीन की मंज़िल कार्यवाहक राष्ट्रपति नहीं बल्कि महामहिम बनने की थी ,लिहाज़ा उन्होंने 2000 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत गए। सन 2004 में रूस ने उन्हें दोबारा अपना राष्ट्रपति चुना । रूसी संविधान के अनुसार कोई तिबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकता तो पुतीन प्रधानमंत्री बन गए। और दोबारा 2012 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा और जीत गए। तब से लेकर अब तक रूस की कमान इन्हीं के हाथों में है ,इस दौरान पुतीन ने वो तमाम क़ानून बदल डाले ,जो उनके काम में अड़चन बन रहे थे ।
एक एजेंट की कोई आत्मा नहीं होती
साल बदले लेकिन पुतीन को कोई बदल नहीं पाया ।बेहद सख़्त मिज़ाज पुतीन ने जो ठान लिया वो कर दिखाया ।पुतीन अमेरिका और ब्रिटेन को अपने अंगूठे के नीचे रखने वाला विश्व राजनेता हैं। पुतीन को सबसे सख़्त 23 अक्टूबर 2002 को देखा गया । जब चेचनिया के विद्रोहियों ने मास्को के एक थिएटर में नौ सौ लोगों को बंधक बना लिया ।इतिहास में ये घटना मॉस्को थिएटर होस्टेज के नाम से जानी जाती है ।कट्टरपंथी चाहते थे की रूस अपनी फ़ौज चेचनिया से हटा ले ।रूसी सरकार को एक हफ़्ते का वक्त दिया गया।लेकिन इस घटना के तीन दिन बाद ही 26 अक्टूबर को पुतीन ने विद्रोहियों की माँग को सुनने से इनकार कर दिया। इसके बाद ऐयर कंडीशन के माध्यम से थिएटर में ज़हरीली गैस छुड़वा दी गई ।जिससे विद्रोहियों और बंधक दोनों का दम घुटने लगा।जिससे विद्रोहियों ने गोली बारी शुरू कर दी। जिसके जवाब में रूसी कमांडोज ने भी गोलियाँ चलाई, गोलीबारी के कुछ मिनट बाद ही आपरेशन ख़त्म हो गया।विद्रोहियों के साथ साथ 118 रूसी नागरिक भी मारे गए।पुतीन के इस निर्णय की कई देशों ने निंदा भी की,लेकिन इतना तो तभी तय हो गया था कि पुतीन को कोई ब्लैकमेल नहीं कर सकता।और वो किसी धमकी के आगे झुकने वाले नहीं हैं ।
पुतीन बेहद ही बेलेंस्ड इंसान हैं । अब तक जितने भी अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख इनसे मिले वो सब बहुत प्रभावित हैं , सिवाय हेलरी क्लिंटन के हेलरी का मानना था कि एक एजेंट की कोई आत्मा नहीं होती .. ख़ैर जो भी हो फ़िलहाल 2024 तक के लिए पुतीन राष्ट्रपति चुने जा चुके है ।
लेखिका दैनिक भास्कर व दैनिक जागरण आदि मीडिया समूहों में सीनियर मैनेजर के रूप में काम कर चुकी हैं।