आर्थिक राष्ट्रवाद (economic nationalism )के अभाव में आत्मनिर्भरता की भव्य इमारत
By G D Pandey विश्व की तमाम बड़ी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अचानक धराशाही होने की कगार पर पहुंचने के साथ ही भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था भी चरमाराने लगी है और बेसहारा होकर खामोश हो गई। इस तरह की खामोशी के बीच हमारे प्रधानमंत्री ने भारत को सोने की चिड़ियां तथा ‘विश्व गुरू’ बनाने के सुहाने […]
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