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बंजर पड़े मंगलता सेरा को फिर से उपजाऊ करने में जुटी नारी शक्ति

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एक महीने की दिन-रात मेहनत से फिर लहलहाने लगे खेत

Report Ring Desk
अल्मोड़ा, सेराघाट। अगर मन में दृढ इच्छा शक्ति हो तो मनुष्य कठिन से कठिन कार्य को भी कर सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है विकासखंड भैसियाछाना स्थित मंगलता की नारी शक्ति ने। यों तो भैसियाछाना का सेराघाट क्षेत्र कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में सदियों से काफी उपजाऊ रहा है। सरयू नदी से लगा यह क्षेत्र कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सरयू नदी के साथ ही कुछ छोटी छोटी नदियां भी इस क्षेत्र को उपजाऊ बनाती हैं। उपजाऊ भूमि होने के कारण यहां के वाशिंदों की सदियों से कृषि कार्यो में विशेष रुचि रही है। लेकिन समय के साथ साथ परिस्थितियां भी बदली हैं। शहरों की चकाचौंध जिंदगी, पहाड़ी गांवों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते पहाड़ी गांवों से लोगों का मैदानी क्षेत्रों में पलायन होता रहा और लोगों की कृषि कार्य के प्रति रुचि भी घटती रही। जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाना भी इसका कारण रहा है।

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लोगों की खेती की प्रति उदासीनता के चलते मंगलता व इसके आसपास के गांवों की उपजाऊ भूमि भी बंजर पडऩे लगी। जिन खेतों में पानी लाकर धान की रोपाई की जाती थी वे खेत सूखने लगे थे और बंजर पडऩे लगे थे। ऐसे में यहां की नारी शक्ति ने बड़ा साहस दिखाया और इन बंजर पड़ रहे खेतों को फिर से उपजाऊ बनाने का बीड़ा उठा लिया। गांव की हेमा भट्ट ने महिलाओं को एकत्रित करके फिर से खेतों तक पानी लाने की चर्चा की और सभी महिलाओं ने श्रमदान करके इन बंजर पड़ते खेतों में पानी पहुंचा दिया।

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हेमा भट्ट, जानकी बानी, कमला भट्ट, प्रियंका देवी, रमा नेगी, नीलम भट्ट, किरन नेगी, प्रेमा देवी, राधिका देवी, हरुली देवी, जानकी नेगी, मुन्नी देवी, नारायणी देवी, ललिता नेगी, उषा देवी, शोभा देवी, रेवती देवी, दीपा देवी, शान्ति भट्ट, लालचन एवं गोबिंद सिंह हवलदार आदि लोगों ने मंगलता सेरा को बंजर पड़ी भूमि को फिर से अवाद करने के लिए लगातार परिश्रम किया। नदी में खुद पत्थरों की मेढ़ बनाकर पानी को खेतों में पहुंचाकर ही दम लिया। देखते ही देखते मंगलता सेरा की यह भूमि फिर से अपने पुराने रंग में रंग गई। खेतों में पानी आने से लोगों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है और बंजर पड़े खेत फिर से आबाद हो गए हैं।

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रीठागाडी दगडिय़ों संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि रीठागाड़ क्षेत्र धान व गेहूं की खेती के लिए सदियों से अपनी पहचान रखता है। यहां की महिलाओं ने अपने श्रमदान से जो कार्य किया वह प्रेरणादायी है। महिलाओं ने एक महीने तक दिन रात मेहनत करके खेतों में पानी पहुंचाया है, इसी की बदौलत आज इन खेतों में धान रोपाइ का काम शुरू हो गया हैं। मंगलता सेरा के डुगरा लेख, जाली खेत, गुडली गांव व मंगलता गांव की महिलाओं ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए एक मिसाल पेश की है। प्रताप नेगी का कहना है कि सरकार द्वारा इस कार्य के लिए कोई मदद नहीं की गई। सरकार द्वारा यदि उन्हें सहायता मिलती तो यह क्षेत्र कृषि के क्षेत्र में और तरक्ïकी कर सकता है।

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