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होली का त्यौहार आया, खुशियों की सौगात लाया

By AAshish Pandey
होली का त्यौहर फाल्गुन महीने में पुर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिन्दू मास के अनुसार होली के दिन से नए संवत की शुरूआत होती हैं। पूरे भारत में होली रंगबिरंगा त्यौहार , धर्मिक एंव सामाजिक एकता का पर्व है। जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले शिकवे भूल कर गले लगते हैं। और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं।
होली का त्यौहार आया
खुशियों की सौगात लाया
रंगों की उड़ान लाया
होली का त्यौहार आया
पिचकारी की धार
रंगों की बौछार
अपनो का प्यार
यही तो है होली का त्यौहर।

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होली का इतिहास

हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा।हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान के प्रति भक्ति को देखकर बहुत परेशान था। उसने प्रह्लाद का ध्यान ईश्वर से हटाने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली।

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अंततः हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का फैसला किया। उसने इसके लिए अपनी बहन होलिका से आग्रह किया। ऐसा कहा जाता है कि होलिका को भगवान भोलेनाथ ने यह वरदान में एक शाल दी थी जिसे पहनने से वो कभी भी आग में नहीं जलेगी।

इस वरदान को पाने वाली होलिका ने सोचा कि वह प्रह्लाद को आग में जाएगी और खुद शाल ओढ़ लेगी। इस तरह प्रह्लाद की जलने से मृत्यु हो जाएगी जबकि शाल उसको सुरक्षित रखेगा।

हालांकि हुआ इसके ठीक विपरीत  ऐन मौके पर भगवान विष्णु ने हवा का ऐसा झोंका चलाया कि शाल उड़कर प्रहलाद के ऊपर आ गयी। भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा की और होलिका का दहन हो गया।

इस तरह सभी ने अच्छाई पर बुराई की जीत के प्रतीक स्वरूप मिठाइयां बांटी और होली के त्योहार की शुरुआत हुई। होली के दिन गिले शिकवे भुलाकर सभी एक दुसरे को रंग लगाकर और मिठाई खिलाकर इस त्योहार को मनाते हैं।

यह त्योहार किसानों के रबी की फसल के तैयार होने के कारण भी मनाया जाता है।

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लेकिन रंग होली का भाग कैसे बने

यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के समय तक जाती है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ। वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे। वे पूरे गांव में मज़ाक भरी शैतानियां करते थे। आज भी वृंदावन जैसी मस्ती भरी होली कहीं नहीं मनाई जाती।
होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां खत्म होती हैं। कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है। किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली मनाते हैं। होली को वसंत महोत्सव या काम महोत्सव भी कहते हैं।

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