Anil Azad Pandey, Beijing
चीन में आजकल नया साल मनाया जा रहा है। इस अवसर पर पूरे देश में उत्सव का माहौल है। चीनी नव वर्ष यानी वसंत त्यौहार के मौके पर मंदिर मेलों का आयोजन हो रहा है। इन मेलों में लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। इस साल चीन में सांप का वर्ष है, पिछला साल ड्रैगन का था।

बता दें कि मंदिर मेलों का आयोजन 29 जनवरी से 4 फरवरी तक हुआ। इन मेलों में जाने के लिए चीनी लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। क्योंकि मेलों में पहुंचने के बाद लोगों को परंपरा और संस्कृति का मेल नजर आता है। यहां पर विभिन्न तरह के खेलों का भी आयोजन किया जाता है। साथ ही शेर नृत्य, परंपरागत पोशाक पहने लोग आकर्षण का केंद्र होते हैं। वहीं इन मेलों में खान-पान, जिनमें विभिन्न तरह के स्नैक्स शामिल होते हैं, लोगों को पसंद आते हैं।
ये मेले आमतौर पर ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध स्थलों, पार्कों या मंदिरों में लगते हैं। विशाल क्षेत्र में फैली जगह भी लोगों की भीड़ में कम महसूस होती है।
चीन की राजधानी बीजिंग की बात करें तो यहां तीथान मंदिर मेला बहुत प्रसिद्ध है। जबकि छांगत्यान मंदिर मेला भी अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हैं। इसे कल्चरल मार्केट के तौर पर जाना जाता है। बताते हैं कि इसका चार सौ वर्ष का इतिहास है। उधर लोंगथान मंदिर मेला और पाताछू स्प्रिंग फेस्टिवल कल्चरल मंदिर मेला भी बहुत लोकप्रिय है। इतना ही नहीं लालटेन आर्ट फेस्टिवल का आयोजन चीनी नव वर्ष के मौके पर किया जा रहा है। जो कि बीजिंग के बीजिंग शयुआन में हो रहा है, यह करीब 50 हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर यहां एक हज़ार से अधिक पारंपरिक लालटेन सज़ायी गयी हैं। साथ ही लालटेन गार्डन टुअर अपनी अनोखी पहचान रखता है। इस तरह चीनी लोगों को आजकल इन पार्कों और मनोरंजन स्थलों में घूमते-फिरते देखा जा सकता है।
इन मंदिर मेलों का इतिहास लगभग दो हज़ार साल पुराना बताया जाता है। जबकि चीन में वसंत त्यौहार मनाने की परंपरा करीब चार हज़ार साल पुरानी मानी जाती है।
(लेखक चीन में वरिष्ठ पत्रकार हैं)

