सरकार के तमाम दावों के बावजूद देश में बाल विवाह के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। बाल विवाह रुकना तो दूर की बात है, बल्कि इनमें बढ़ोतरी हो रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी एनसीपीसीआर की ताजा रिपोर्ट की मानें तो देश भर में 11.4 लाख से ज्यादा बच्चे बाल विवाह के चक्कर में फंस सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक एनसीपीसीआर बच्चों को छोटी उम्र में विवाह के दलदल में फंसने से रोकने के लिए कदम उठा रहा है। इसके लिए आयोग ने पीड़ित बच्चों की मदद करने और पुलिस के साथ मिलकर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का काम किया। एनसीपीसीआर ने आशंका जताई है कि आने वाले समय में भी बड़ी संख्या में बाल विवाह हो सकते हैं, जो कि पढ़ने-लिखने की उम्र में किशोरों का जीवन बर्बाद कर सकते हैं। इस बाबत एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजा है। पत्र में मुख्य सचिवों से इस मुद्दे को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया है।
साथ ही बाल विवाह उन्मूलन के लिए जिला स्तरीय रणनीति को लागू करना जारी रखने की अपील भी की गयी है। आयोग ने चेतावनी देते हुए कहा है देश में 11 लाख चालीस हज़ार से अधिक बच्चों का बाल विवाह किया जा सकता है। साथ ही आयोग ने कहा कि वह इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 1 करोड़ बीस लाख लोगों तक पहुंचा। जबकि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने बाल विवाह के खिलाफ अच्छा कार्य किया है। इतना ही नहीं यूपी में बच्चों ने साहस दिखाते हुए बाल विवाह का विरोध किया। बाल विवाह का विरोध करने वाले बच्चों की संख्या यूपी में करीब 5 लाख बतायी जाती है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी स्थिति सुधर रही है। उधर कर्नाटक और असम में जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार बैठकें हो रही हैं।


