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सरस्वती सम्मान महामहोपाध्याय साधु भद्रेशदास को

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केके बिरला फाउंडेशन ने वर्ष 1991 में की थी सरस्वती सम्मान की शुरूआत

नई दिल्ली। के.के. बिरला फाउंडेशन की ओर से दिया जाने वाला सरस्वती सम्मान प्रख्यात संस्कृत विद्वान महामहोपाध्याय साधु भद्रेशदास को उनकी साहित्यिक कृति ‘स्वामिनारायण सिद्धांत सुधा’ के लिए दिया जाएगा। न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सीकरी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में सरस्वती सम्मान की चयन परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

सरस्वती सम्मान की शुरूआत केके बिरला फाउंडेशन ने वर्ष 1991 में की थी। यह सम्मान प्रतिवर्ष ऐसे भारतीय नागरिक की एक ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जात है जो भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो। सम्मान स्वरूप 15 लाख रुपए की पुरस्कार राशि के साथ प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिन्ह भेंट किया जाता है।

साधु भद्रेशदास एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्कृत विद्वान और बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था के संन्यासी हैं। साधु भद्रेशदास एमस, पीएचडी, डीलिट तथा आईआईटी खडग़पुर द्वारा प्रदत्त डाक्टर ऑफ साइंस मानद उपाधि से सुशोभित हैं। उन्होंने आधुनिक युग में भारत की पारंपरिक वैदिक ज्ञान प्रणाली के संरक्षण एवं संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्हें महामहोपाध्याय, भाष्य रत्ïनाकर जैसी अनेक प्रतिष्ठित उपाधियों से अलंकृत किया गया है। साथ ही भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी प्रदान किया गया है।
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