नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली व भारतीय भाषा परिषद, दिल्ली के संयुक्त तत्त्वाधान में तीन दिवसीय संस्कृत के ध्येय वाक्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। समापन सत्र में कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने रीसोर्स पर्सन को प्रमाण पत्र भेंट करते हुए कहा कि संस्कृत के सुभाषितों को एक स्वतंत्र विधा के रूप में भी उन्नयन किया जाना चाहिए। कुलपति ने इस महत्त्वपूर्ण कार्य में अपना योगदान देने के लिए विद्वानों के प्रति आभार भी व्यक्त किया ।
वेदविद्याशाखा के अध्यक्ष प्रो मनोज कुमार मिश्रा ने आशा जताते हुए कहा कि कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी जी के मार्गदर्शन में यह नवोन्मेषी कार्यशाला संस्कृत में लिखित सुभाषितों को अधिक से अधिक लोक तक पहुंचाएगा।
इस सत्र में अकादमी के डीन प्रो बनमाली बिश्बाल ने प्रसन्नता जताते कहा कि सुभाषितों को पढऩे और जीवन में उतारने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है। छात्र कल्याण, डीन प्रो मदन मोहन झा ने कहा कि इसे छात्र छात्राओं के बीचं लोकप्रियता बढ़ाने की आवश्यकता है। मंच का संचालन डा अमृता कौर ने किया और कार्यशाला के संयोजक प्रो नारायण नरसिम्ह आर एल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

