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आईटी कंपनी में काम करने वाले युवक ने खंडहर मकान को कैसे बनाया होमस्टे, पुणे के बजाय चमोली की उर्गम वैली में चुना करियर

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उत्तराखंड में पहाड़ के गांव खाली हो रहे हैं युवा महानगरों की तरफ दौड़ लगा रहे हैं। इसकी बड़ी वजह रोजगार है। मगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो पहाड़ के गांवों में भी रोजगार के अनेक अवसर हैं। इसका जीता जागता उदाहरण हैं पुणे में आईटी कंपनी की अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ चुका नौजवान सचेंद्र पाल। वह उत्तराखंड के चमोली जिले की उर्गम वैली में आए तो घूमने थे। मगर उनका मन यहीं रम गया।

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उन्होंने एक वीरान पड़े मकान को लीज पर लिया । उसे होम स्टे में बदल दिया। जहां गाय बकरियां बंधा करती थी आज वहां देशी विदेशी पर्यटक रुक रहे हैं। सचेंद्र ने आईटी कंपनी की नौकरी उन्होंने साल 2015 में नौकरी छोड़ दी थी । ऋषिकेश में खुद की एक ट्रैवल कंपनी शुरू की।

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अपनी ट्रैवल कंपनी के जरिए वह यहां आने वाले लोगों को पहाड़ों की सैर कराते और इसी दौरान उन्होंने ऋषिकेश में योग भी सीखा। कोविड महामारी के बाद 2020 में जब हालात सामान्य हुए तो सचेंद्र सुकून की तलाश में चमोली जिले की उर्गम वैली में आए और फिर यहीं रहकर जिंदगी गुजारने का फैसला कर लिया। सचेंद्र की नजर उर्गम वैली के दानिकेत गांव में एक टूटे फूटे मकान पर पड़ी। रुद्रनाथ ट्रेक मार्ग पर बने इसी वीरान मकान को सचेंद्र ने होमस्टे बनाने का फैसला ले लिया।

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लगभग पांच महीनों की मेहनत के बाद खंडहर मकान 2022 में दो मंजिला होमस्टे में बदल गया। होमस्टे में कुल 6 कमरे हैं, जहां करीब 12 लोग आराम से रह सकते हैं। सचेंद्र बताते हैं कि उनके होमस्टे में ज्यादातर वही पर्यटक आकर रुकते हैं, जो अपनी जिंदगी का कुछ समय शहर की भागमभाग, शोर-शराबे और प्रदूषण से दूर प्राकृतिक माहौल में बिताना चाहते हैं। यह वैली चारों तरफ से पहाड़ों से घिरी है, जहां झरनों से गिरते पानी की आवाज पर्यटकों का दिल जीत लेती है।

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