हरिद्वार। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लॉर्ड मैकाले को देश की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को खत्म करने और लोगों को मानसिक रूप से गुलाम बनाने के लिए भारत भेजा गया था। उन्होंने कहा कि सरकार सांस्कृतिक विकास पर काम कर रही है ताकि आने वाली पीढिय़ां इस पर गर्व कर सकें। सिंह ने शनिवार को पतंजलि गुरुकुलम एवं आचार्यकुलम के शिलान्यास समारोह में बतौर मुख्य अतिथि रक्षामंत्री पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि भारत में हर शास्त्र व हर पंथ गुरु के महत्व को स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में गुरु-शिष्य की बड़ी विशिष्ट परंपरा रही है। यह वह देश है, जहां गुरुवाणी और गुरुग्रंथ को ईश्वर का दर्जा दे दिया जाता है, तो शिष्य के नाम पर पूरा पंथ प्रारंभ हो जाता है।
राजनाथ ने कहा कि तक्षशिला विश्वविद्यालय से लेकर विक्रमशिला विश्वविद्यालय होते हुए नालंदा विश्वविद्यालय तक इस देश में अनेक ऐसे संस्थान थे, जिन्होंने शिक्षा की ऐसी अलख जगाई थी, जिससे समूचा विश्व दीप्तिमान होता था। जहां दर्शन, गणित, विज्ञान, चिकित्सा व कला आदि विद्याओं का ज्ञान दिया जाता था। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने मैकाले का नाम सुना होगा। मैकाले एक ब्रिटिश अधिकारी था, जिसको ब्रिटेन से भारत इसलिए भेजा गया था ताकि भारतीयों को मानसिक रूप से गुलाम बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि जब इस देश में ऐसा माहौल तैयार हुआ था, उस समय उस अंधकार के खिलाफ ज्योति जलाते हुए स्वामी दर्शनानंद जी ने इस गुरुकुल की स्थापना करके जो प्रकाश फैलाया, उससे आज तक हमारी युवा पीढ़ी प्रकाशित हो रही है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भी जो समय चल रहा है तथा विदेशी संस्कृति के अंधानुकरण से समाज में जिस प्रकार से नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, उसे देखते हुए यह आवश्यक है कि गुरुकुल आगे आएं और समाज में नैतिक मूल्यों का समावेश करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार नई शिक्षा नीति के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा से ही विद्यार्थियों के मन में नैतिक मूल्यों का समावेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। देशभर के अनेक शैक्षणिक संस्थानों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है।


