By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
नगरपालिका वार्ड क्रमांक एक के रहने वाले कौशल्या एवं सुबाषचंद्र साहू दम्पत्ति के लिये अपनी होने वाली तीसरी संतान अत्यंत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि पहले हुईं दो पुत्रियों के पश्चात उन्होंने उम्मीद बांध रखी थी कि उन्हें तीसरी संतान के रूप में इस बार पुत्र-रत्न की ही प्राप्ति होगी, और ऐसा हुआ भी, परन्तु भाग्य की विडम्बना कि पुत्र हुआ भी तो जीवित न रह सका।
साहू दम्पत्ति के अनुसार गत 30-31 अगस्त 2020 की रात प्रसव पीड़ा आरम्भ होने पर रात 2.30 बजे कौशल्या साहू को स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया एवं कोई पांच घण्टे बात प्रातः 7.30 बजे प्रसव होने के बाद उन्हें स्वस्थ पुत्र होने की सूचना दी गयी एवं थोड़ी देर बाद ही नर्सिंग स्टाफ़ द्वारा उनसे नवजात हेतु दो ईटी ट्यूब एवं दो जोड़े साढ़े छह इंच वाले चिकित्सकीय दस्ताने (ग्लव्ज) लाने को कहा गया। बकौल सुबाष साहू वे उक्त दोनों चीज़े बाज़ार से लेकर लौटे भी नहीं थे कि प्रसव के आधे घण्टे बाद ही उन्होंने नवजात बालक को मृत घोषित कर दिया। उनका आरोप है कि बच्चे की मृत्यु चिकित्सक की लापरवाही के कारण हुई, क्योंकि उन्होंने स्वयं प्रसव नहीं कराया।
दूसरी ओर इस बारे में पूछे जाने पर अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुबाष बेहेरा का कहना है कि कौशल्या को प्रसव हेतु प्रातः 6.30 बजे अस्पताल लाया गया, तब तक गर्भावस्था में ही शिशु की हालत नाज़ुक हो चुकी थी एवं उसका बचना सम्भव नहीं था एवं प्रसव प्रातः 7.30 बजे स्वयं उन्होंने ही कराया था एवं प्रसव से पहले ही दम्पत्ति को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया था। बहरहाल, सत्य क्या है, तो जांच सापेक्ष है, परन्तु साहू दम्पत्ति द्वारा मामले की लिखित शिकायत अब मुख्य ज़िला चिकित्सा अधिकारी एवं ज़िलाधीश कालाहाण्डी से कर दी गयी है।
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