प्रताप सिंह नेगी
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों के साथ-साथ हिमाचल के हिमालयी क्षेत्र व नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड आदि देशों में पाया जाने वाला बुरांश का फूल पोषक तत्वों का भंडार है। यह फूल देखने में जितना सुंदर लगता है, उतना ही स्वास्थ्यवद्र्धक भी है। इसके सेवन से हम कई बीमारियों की रोकथाम कर सकते हैं।

कैसे बनता है बुरांश के फूलों का जूस
बुरांश के फूलों को तोडक़र पानी से साफ करके किसी बड़े बर्तन में दस से पंद्रह मिनट इसे उबाला जाता है। फिर ठंडा होने के बाद किसी छïलनी की मदद से या फिर किसी सूती कपड़े से छानकर इसका रस निकाला जाता है। फूलों से निकले रस में फिर चीनी घोली जाती है। चीनी और बुरांश के फूलों का मिश्रण जब तैयार हो जाता है तो इसका जूस खाने योग्य हो जाता है।
बुरांश के जूस में आयरन, कैल्शियम, बिटामिन सी, एंटी आक्सीडेंटस, एंटी डायबिटिक, एंटी बैक्टीरियल आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं। बुरांश के जूस का सेवन हड्डियों व दांतों को मजबूती देता है, शरीर के घाव को भरने में मदद करता है, शरीर के संक्रमण से बचाता है, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित, त्वचा, लीवर, शुगर की रोकथाम के लिए फायदेमंद माना जाता है।
(नोट- यह लेखक के निजी विचार हैं)

