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ऋषिकेश। सीबीआई ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में 4.41 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश किया है। स्वीपिंग मशीन और फर्जी ढंग से मेडिकल स्टोर स्थापित करने के अलग अलग मामलों में सीबीआई ने एम्स के पांच अधिकारियों समेत आठ लोगों के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए है। सीबीआई टीम संस्थान में दवाओं, उपकरणों की खरीद और नियुक्तियों जुड़े अन्य मामलों को लेकर भी अधिकारियों से पूछताछ कर रही है।
बृहस्पतिवार रात सीबीआई ने उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के 24 स्थानों पर छापेमारी की कार्रवाई की। सीबीआई की दो टीम एम्स ऋषिकेश के आवासीय परिसर में भी पहुंची। यहां टीम ने एम्स के अधिकारियों से वर्ष 2018 में हुई स्वीपिंग मशीन की खरीद और परिसर में फर्जी ढंग से त्रिवेणी सेवा फार्मेसी का मेडिकल स्टोर स्थापित करने के मामले में पूछताछ की। जांच में स्वीपिंग मशीन खरीद में दो करोड़ के 41 लाख के घोटाले की पुष्टि हुई। वहीं मशीन की खरीद को लेकर हुए घोटाले में एम्स के चार मौजूदा अधिकारी, एक तत्कालीन अधिकारी और विक्रेता कंपनी के मालिक की संलिप्तता पाई गई।
सीबीआई ने माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर बलराम जी ओमर, एनाटोमी विभाग के प्रोफेसर बिजेंद्र सिंह, सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, तत्कालीन लेखाधिकारी दीपक जोशी और प्रो मेडिक डिवाइस के मालिक पुनीत शर्मा के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। एम्स परिसर में एक मेडिकल स्टोर स्थापित करने की जांच में भी अधिकारियों और कंपनी के मालिक की मिलीभगत की पुष्टि हुई है। सीबीआई टीम ने जांच में पाया कि टेंडर के प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया। कम बोली लगाने वाली नामचीन कंपनियों को बाहर कर फर्जी आधार पर त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को मेडिकल स्टोर स्थापित और संचालित करने का ठेका दिया गया। जिसमें संस्थान को दो करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया। सीबीआई ने दूसरे मामले में त्रिवेणी सेवा फार्मेसी के पार्टनर पंकज शर्मा और शुभम शर्मा के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।