what is yoga

आखिर योग है क्या? पढ़िए स्टोरी

योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना गलत है। योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की एक कला है। साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म हमें खूंटे से बांधता है, वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है। – ओशो

By Ashish Bahuguna

योग क्या है, यह जानने के लिए हमें इसके मूल में जाना होगा। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’से हुई है, जिसका अर्थ जुड़ना होता है। योग के मूल रूप से दो अर्थ माने गए हैं, पहला- जुड़ना और दूसरा-समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ पाते, तब तक समाधि के स्तर को प्राप्त करना मुश्किल होता है। यह सिर्फ व्यायाम भर नहीं है, बल्कि विज्ञान पर आधारित शारीरिक क्रिया है। इसमें मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का एक-दूसरे से मिलन होता है। साथ ही मानव और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य कायम होता है। यह जीवन को सही प्रकार से जीने का एक मार्ग है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि योग: कर्मसु कौशलम यानी योग से कर्मों में कुशलता आती है।

इसे समझने के लिए हमें विख्यात दार्शनिकों, ज्ञानियों और योगियों के वक्तव्य को जानना होगा। जिन्होंने अपने-अपने तरीके से योग को परिभाषित किया है।

yoga

योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना गलत है। योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की एक कला है। साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म हमें खूंटे से बांधता है, वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है। – ओशो

चित्तवृत्तिनिरोध: यानी चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना ही योग है। आसान भाषा में कहें तो मन को भटकने न देना और एक जगह स्थिर रखना ही योग है-पतंजलि

 

योग की परिभाषा जानने के बाद आगे जानते हैं कि योग करना क्यों जरूरी है।

योग तीन स्तरों पर काम करते हुए आपको फायदा पहुंचाता है। इस लिहाज से योग करना सभी के लिए लाभकारी है।

पहले चरण में यह मनुष्य को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हुए उसमें ऊर्जा भरने का काम करता है।

दूसरे चरण में यह मस्तिष्क व विचारों पर असर डालता है। हमारे नकारात्मक विचार ही होते हैं, जो हमें तनाव, चिंता या फिर मानसिक विकार में डाल देते हैं। योग इस चक्र से बाहर निकालने में हमारी मदद करता है।

योग के तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण चरण में पहुंचकर मनुष्य चिंताओं से मुक्त हो जाता है। योग के इस अंतिम चरण तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत होती है। इस प्रकार योग के लाभ विभिन्न स्तर पर मिलते हैं।

योगासन करने लिए क्या करना चाहिए?

योग करने के लिए चाहिए केवल मन की तैयारी। नदी का पानी कल-कल करता बहता रहता है,इसलिए साफ़ रहता है। रुका हुआ पानी स्वच्छ नहीं रहता। ऐसे पानी के कारण रोग फैलने में समय नहीं लगता। शरीर और मन को स्वस्थ बनाए रखना है तो शरीर का प्राण बहते रहना ज़रूरी होता है,स्वास्थ्य की नदी का बहते रहना आवश्यक होता है।

yogasan

योगासन का अभ्यास के लिए आवश्यकता होती है-थोड़ी-बहुत तैयारी करना समझौता करने के लिए उचित बातों का चयन और अनुचित या अवांछित बातों के त्याग की।

शुरू-शुरू में आसन करना बहुत मुश्किल काम लगता है,परंतु आसन तो होते ही हैं-श्रमिकों के श्रम-परिहार के लिए,आराम तलब को क्रियाशील बनाने के लिए और  बौद्धिक काम  क़रने वालों  को शांत बनाने के लिए।

योग है सभी के लिए

योग की सुंदरताओं में से, एक खूबी यह भी है कि बूढ़े या युवा, स्वस्थ (फिट) या कमजोर सभी के लिए योग का शारीरिक अभ्यास लाभप्रद है और यह सभी को उन्नति की ओर ले जाता है। उम्र के साथ-साथ आपकी आसन की समझ ओर अधिक परिष्कृत होती जाती है। हम बाहरी सीध और योगासन के तकनीकी (बनावट) पर काम करने बाद अंदरूनी सूक्ष्मता पर अधिक कार्य करने लगते हैं और अंततः हम सिर्फ आसन में ही जा रहे होते हैं।

योगासन के अभ्यास के बारे में हम चर्चा करेंगे आने वाले  सप्ताह के और लेखों में।

लेखक योग शिक्षक हैं और वीयोगा एकेडमी चलाते हैं।

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