– सीएम ने किया यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण
देहरादून। उत्तराखंड में बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता सोमवार से लागू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया। वहीं, इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है। इसी के साथ समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया। भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले इसे लागू करने का वादा किया था और राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद नीति तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।
सीएम धामी ने कहा कि यह हमारे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए भी एतिहासिक दिन है। यूसीसी रूपी गंगा को निकालने का श्रेय देवभूमि की जनता को जाता है। आज अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। मैं आज भावुक भी हो रहा हूं। इसी क्षण से समान नागरिक संहिता लागू हो रही है। सभी नागरिकों के अधिकार सामान हो रहे हैं। सभी धर्म की महिलाओं के अधिकार भी समान हो रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी धन्यवाद देता हूं उन्हीं के सहयोग से यह सब हो रहा है। जस्टिस प्रमोद कोहली और समिति का धन्यवाद करता हूं। विधानसभा के सभी सदस्यों का धन्यवाद है। आईटी विभाग और पुलिस गृह विभाग सबका धन्यवाद। जो हमने संकल्प लिया था। जो वादा किया था वह पूरा किया।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि यूजीसी का उद्देश्य उन सभी व्यक्तिगत नागरिक कानूनों में एकरूपता लाना है जो वर्तमान में जाति, धर्म, लिंग और अन्य कारकों के आधार पर भेदभाव करते हैं। राज्य सरकार ने यूजीसी रोलआउट के लिए सभी आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें अधिनियम के तहत नियमों की स्वीकृति और इसके कार्यान्वयन में शामिल अधिकारियों के लिए व्यापक प्रशिक्षण शामिल है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि समिति ने कई सालों की मेहनत के बाद यूसीसी को तैयार किया है। यह हमारे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। समाज पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पंजीकरण की प्रक्रिया को भी आसान किया गया है। यूसीसी समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि पंजीकरण को आसान बनाया गया है। आप एक बार हमारे पोर्टल पर आइए। फिर आप सिस्टम के पास नहीं सिस्टम आपके पास आएगा।
यूजीसी के लागू होने से क्या बदलेगा
– विवाह पंजीकरण अनिवार्य: अब सभी विवाहों का पंजीकरण होना चाहिए।
– समान तलाक कानून: धर्म या जाति से परे सभी समुदायों पर एक ही तलाक कानून लागू होगा।
-विवाह की न्यूनतम आयु: सभी धर्मों और जातियों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है।
– गोद लेने का समान अधिकार: गोद लेने का अधिकार सभी धर्मों के लिए खुला रहेगा, लेकिन किसी दूसरे धर्म के बच्चे को गोद लेना प्रतिबंधित रहेगा।
– प्रथाओं का उन्मूलन: राज्य में हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं की अब अनुमति नहीं होगी।
– एक विवाह प्रथा लागू: यदि पहला पति जीवित है तो दूसरी शादी की अनुमति नहीं होगी।
-समान उत्तराधिकार अधिकार- बेटों और बेटियों को उत्तराधिकार में समान हिस्सा मिलेगा।
– लिव इन रिलेशनशिप नियम: लिव.इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। 18 और 21 वर्ष से कम आयु के भागीदारों के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी।
– लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों के अधिकार: इन बच्चों को विवाहित जोड़ों से पैदा हुए बच्चों के समान अधिकार होंगे।

