केरल। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, चिन्मया इन्टरनेशनल फाउन्डेशनएसीआईएफ शोध संस्थान कृष्णाचार्य योग मन्दिरम् के संयुक्त तत्वाधान में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी – योग ऐज एन इम्बोडिडेड्ड क्लचर ऑफ भारत का उद््घाटन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान ने किया।
उन्होंने अपने उद्घाटन उद्बोधन में कहा कि केरल सिर्फ़ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि यहां पर आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ था, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उनके जीवन का अधिसंख्य प्रारंभिक संस्कार यही किया गया था और इसके कारण भी कि यह सम्पूर्ण भारतवर्ष के लिए अद्वैत वेदान्त के पुनर्जागरण का दार्शनिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र बना। उन्होंने कहा कि योग का अर्थ अपने आप को समाज तथा सर्वोच्च सत्ता से जोडऩा है।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति तथा दर्शनशास्त्र विशेष कर न्याय विधा के प्रकाण्ड विद्वान प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान को भारतीय ज्ञान के मर्मज्ञ होने के कारण राजर्षि बताते कहा कि योग शब्द एक दार्शनिक शब्दावली है जिसके अर्थोन्मेष के अनेक व्यापक आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक तथा वैज्ञानिक अर्थ हैं। इसका एक सामान्य अर्थ क्रिया अर्थात कौशल प्रधान्य क्रिया भी है। प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि भारत ही दुनिया में एक मात्र ऐसा देश जहां ज्ञान योग क्रान्ति भी हुआ जिसके लिए उन्होंने आदि शंकराचार्य और उपनिषद का भी उल्लेख किया।

महाभारत और पुराणों आदि के क्रमश: कर्मयोग तथा भक्तियोग की भी चर्चा की। उन्होंने आयुर्वेद के साथ योग के प्रसंगों को भी उठाया और आगे यह भी कहा कि योग को संस्कृत के मूल विद्या के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। इसका कारण यह भी है कि नाना विद्यास्थान तथा चौंसठ कलाएं संस्कृत में ही सन्निहित है। संस्कृत में ही मूल योग विद्या है । इससे ही योग विद्या सुदृढ़ तथा स्थापित होगी । यही कारण है कि माननीय प्रधान मन्त्री मोदी के मार्गदर्शन में आज भारत योग में विश्वगुरु के रुप स्थापित हो सका है।
प्रो अजय कपूर कुलपतिएचिन्मया विश्व विद्यापीठ ने कहा कि योग विद्या से भारतीय एवं पाश्चात्य को एकीकृत किया जा सकता है।स्वामी विविक्ततानन्द ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के क्रम में इसका आयोजन किया गया है जो समय की मांग है। प्रो गौडी मौहुलकर ने उद्घाटन सत्र का मंच संचालन किया ।

