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डेढ़ सौ रुपए किराए में चल रहा था अस्पताल, किराया नहीं मिला तो लग गया ताला

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– अस्पताल का भवन निर्माण कार्य भी एक साल से बंद, लोगों में आक्रोश

अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों की सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं यहां के अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं। आए दिन पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को इसका सामना करना पड़ता है। अब ताजा मामला सामने आया है धौलछीना ब्लॉक के रीठागाड़ पट्टी का, जहां पर कनारीछीना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किराया न मिलने के कारण बंद हो गया है। लम्बे से भवन स्वामी को किराए का भुगतान न होने के कारण उन्होंने अपने मकान में ताला लगा दिया जिससे अस्पताल बंद हो गया है। मात्र डेढ़ सौ रुपए के किराए में वर्षो से चल रहे स्वास्थ्य केंद्र केन्द्र के बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही है। वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

समाजसेवी प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि रीठागाड पट्टी का लगभग 65 साल पुराना कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल सोमबार से बंद पड़ा है। कनारीछीना निवासी बहादुर सिंह डसीला के मकान के दो कमरे किराए पर लेकर यह स्वास्थ्य केंद्र वर्षों से संचालित किया जा रहा था। किराया भी इतना ज्यादा नहीं था, कि चुकाया न जा सके। मात्र डेढ़ सौ रुपए महीने के किराये पर भवन स्वामी ने दो कमरे दिए थे। लेकिन लम्बे समय से डेढ़ सौ रुपए किराया भी नहीं मिल पाने के कारण भवन स्वामी ने अपने कमरों में ताला मार दिया। अस्पताल के कमरों में ताला जडऩे से सोमबार से यह अस्पताल बंद पड़ा है।

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सीएम और स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र, कोई सुनवाई नहीं

प्रताप सिंह नेगी का कहना है कि कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल भवन निर्माण कार्य भी एक साल से बंद पड़ा है। वहीं किराए पर चल रहा अस्पताल भी अब किराया न मिलने के कारण बंद हो गया है, जिससे क्षेत्र के लोगों को बड़ी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। नेगी का कहना है कि पिछले महीने नवंबर में कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल भवन निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड शासन व महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय देहरादून को इस संबंध में पत्र भी लिखा था। लेकिन अभी तक शासन प्रशासन की तरफ से कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल भवन निर्माण कार्य शुरू करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई है। शासन प्रशासन की अनदेखी से रीठागाड़ पट्टी के लोग काफी दुखी और आक्रोशित हैं।

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