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सड़क न होने से गांव छोडऩे को मजबूर बबुरिया नायल के लोग

मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए तय करना पड़ता है आठ से दस किमी का पैदल रास्ता

Report ring Desk

अल्मोड़ा, धौलछीना। देश में भले ही आज सड़कों का जाल बिछ गया हो, सरकारें भी देश के हर गांव तक सड़क पहुंचाने की भरसक कोशिश में जुटी हैं, लेकिन भैसियाछाना विकासखंड के बबुरिया नायल गांव के लोगों के लिए आज भी सड़क एक सपने जैसा ही है। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद यहां के लोगों को भी उम्मीद थी कि उनके गांव में भी सड़क होगी लेकिन राज्य बनने के 22 साल बाद भी गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई। बबुरिया नायल के लोगों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए आज भी आठ से दस किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। गांव में सड़क नहीं होने के कारण कई परिवार मजबूरन गांव से पलायन कर चुके हैं।

सड़क मार्ग से वंचित बबुरिया नायल गांव के लोगों को रोजमर्रा का सामान लेने के लिए भी आठ से दस किमी का पैदल सफर तय करना पड़ता है। लोगोंं को अपने निकटतम बाजार धौलछीना पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है जिससे लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लोगों को भारी सामान ले जाने के लिए किराए में खच्चर लेने पड़ते हैं जिसमें उनका बहुत पैसा खर्च हो जाता है।

बबुरिया नायल के ग्राम प्रधान महेश बोरा व क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि उनके गांव में सड़क न होने से लोगों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बुजुर्गो, बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं को मुख्य सड़क तक पहुंचने में बहुत दिक्ïकत होती है। आए दिन परेशानी के चलते बबुरिया नायल ग्राम सभा के कठधरा गांव और गौनाप गांव के कई परिवार गांव छोड़ चुके हैं। गांव के छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाई करने के लिए धौलाछीना जाना पड़ता है, बरसात और सर्दी के दिनों में बच्चों को पैदल स्कूल जाने में बड़ी दिक्कत रहती है। यही नहीं बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों धौलछीना स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है। सड़क न होने से आए दिन मुसीबतों से लड़ते लोग गांव छोडऩे को मजबूर हो रहे हैं।

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