देहरादून। ग्राम पंचायतों को अब संबंधित ब्लॉक के सहायक विकास अधिकारी व क्षेत्र पंचायतों को उपजिलाधिकारी देखेंगे। सचिव पंचायतीराज चन्द्रेश कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। हरिद्वार को छोडक़र शेष 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल 28 नवम्बर और क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल 30 नवम्बर को समाप्त हो जाएगा। राज्य सरकार अभी तक पंचायतों में ओबीसी आरक्षण तय नहीं कर पाई है जिससे चुनाव प्रक्रिया में समय लग सकता है। ऐसे में सरकार ने पंचायतों के गठन तक पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया है।
पंचायतों का कार्यकाल बढऩे की वजह से प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ भी कराए जा सकते हैं। निकायों का कार्यकाल पिछले साल दिसम्बर में ही खत्म हो चुका है। इसमें सरकार छह छह माह के लिए दो बार प्रशासक बैठा चुकी है। अब माना जा रहा है सरकार पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ करा सकती है।
पंचायती राज अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि पंचायतों के पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से 15 दिन पहले या फिर बाद में चुनाव कराएं, अगर किसी कारणवश चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है तो अधिकतम 6 महीने तक के लिए प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। प्रदेश में वर्तमान स्थिति यह है कि पंचायत के चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है। क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पंचायतों में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण कार्य के लिए जनवरी तक की समय सारिणी निर्धारित की है, जबकि सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन, परिसीमन और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन एवं निर्धारण किया जा चुका है।


