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साहित्य

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हाँ! मैं एक फौजी हूँ

By Harish हाँ! मैं एक फौजी हूँ, सब कहते हैं मनमौजी हूँ,, बचपन से मैंने देखे सपने सपने वो जो आपने देखे मैंने देखे हम सबने देखे, सपना वो जिसे मैंने जीना सीखा शरहद पर लड़ पाऊँ दुश्मनों के छक्के छुड़ाऊँ एक दिन वतन के काम आऊँ इसलिए अपनी उमड़ती थकान को पीना सीखा, माँ-बाप […]

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जन से खिलवाड़…

By C.S Karki  मत करो ऐसी कोशिश कि इन्सान को यन्त्र बना डालो। संवेदनायें खत्म कर उसकी निष्ठुर, जड़ पुतला बना दो।। यह जरूरी नहीं कि तुम्हारे इशारों पर वह बोले साधे हित तुम्हारा परछाई बन रोबोट हो ले। कभी तुम उसे भगवान बनाओ और कभी निर्लिप्त सन्त कह दो।। बनाना चाहते हो समुन्दर कभी

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आओ मनाए मिलकर जश्न आजादी का…

By Harish आओ मनाए मिलकर जश्न आजादी का जश्न तिरंगे को सम्मान, स्वाभिमान व गौरव दिलाने का, कल तक जो थे गुलाम न थी आज़ादी और न ही स्वाभिमान से जीने देते आज देखो कैसे बढ़े कदम खुद को, देश को, इस धरा को गुलामी से निजात दिलाने को, कभी इन्होंने हमें जानवर समझा हमें

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भाभी और ननद के बीच आई सोने की चेन …

कहानी रिश्तों की पहचान:  By Hema Kabdal, Delhi  विमला शादी के बाद मुंबई में अपने पति के साथ रहती थी । उसके साथ उसके सास, ससुर, ननद और दो छोटे बच्चे भी रहते थे। विमला अक्सर घर के कामों में व्यस्त रहती थी और उसके पति ऑफिस के कामों में । सारे घर के लोग

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