-वरिष्ठ साहित्यकार पंकज बिष्ट विद्यासागर नौटियाल स्मृति सम्मान से सम्मानित
-पंकज बिष्ट किसी भी सच को सामने लाने में कभी संकोच नही करतेः इब्बार रब्बी
देहरादून। वरिष्ठ कथाकार, विचारक पंकज बिष्ट ने कहा कि प्रतिबद्धता क्या होती है यह मैने विद्यासागर नौटियाल से सीखा। विद्यासागर नौटियाल ने अपनी राजनीतिक साहित्यिक प्रतिबद्धता कभी छिपाई नहीं। रविवार को सेव हिमालय मूवमेंट व संवेदना संस्था की ओर से साहित्य के क्षेत्र का प्रतिष्ठित विद्यासागर नौटियाल स्मृति सम्मान -2024 प्राप्त करने के बाद पंकज बिष्ट ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता मनुष्यता की सबसे बड़ी थाती है। प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि व पत्रकार इब्बार रब्बी ने कहा कि वह पंकज बिष्ट को बहुत पहले से जानते हैं। वे हमेशा से जानते हैं कि वह किसी भी सच को सामने लाने में संकोच नही करते । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार गुरदीप खुराना ने कहा कि पंकज बिष्ट की पत्रिका समयांतर में लिखने वाले भी जाहिर है वैसी ही प्रतिबद्धता रखते हैं जैसी पंकज बिष्ट। साहित्य व संस्कृति कर्मी हम्माद फारुखी ने पंकज बिष्ट और विद्यासागर नौटियाल को एक विचार का कथाकार बताया। उन्होंने पंकज बिष्ट व उनके साहित्य का व्यापक परिचय दिया।
और बताया कि किस तरह कुमाऊं के अल्मोड़ा , मुम्बई , भारत सरकार के सूचना सेवा विभाग के प्रकाशन विभाग में उपसंपादक व सहायक संपादक, योजना के अंग्रेजी सहायक सम्पादक, आकाशवाणी की समाचार सेवा में सहायक समाचार संपादक व संवाददाता, भारत सरकार के फिल्म्स डिवीजन में संवाद- लेखन करते हुए भी व साहित्यरत रहे हैं। उनके द्वारा संपादित समयांतर सबसे विचारपरक पत्रिकाओं में है। पंकज बिष्ट के साहित्य पर विस्तृत टिप्पणी करते हुए डॉ. संजीव नेगी ने कहा कि उनके साहित्य में समय दर्ज होता है और उदारीकरण, बाबरी विध्वंस और वैश्विक परिघटनाओं का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
असगर वजाहत के साथ, बच्चे गवाह नहीं हो सकते, पंद्रह जमा पचीस, टुंड्रा प्रदेश व अन्य कहानियाँ कहानी संग्रहों व लेकिन दरवाजा, उस चिड़िया का नाम, पंखवाली नाव, शताब्दी से शेष उपन्यासों के उद्धरणों के जरिए उन्होंने बताया कि विद्यासागर नौटियाल जहां समष्टि की बात करते थे पंकज बिष्ट मनुष्य के भीतर की कहानी कहते हैं। संचालन करते हुए कवि व कथाकार विजय गौड़ ने कहा कि पहला विद्यासागर सम्मान 2021 में कथाकार सुभाष पंत को, दूसरा 2022 में स्व. शेखर जोशी और तीसरा 2023 में डॉ. शोभा राम शर्मा को दिया गया था। इस मौके पर सेव हिमालय मूवमेंट के संरक्षक जगदंबा रतूड़ी, राजीव नयन बहुगुणा, साहित्यकार जितेंद्र भारती, नवीन नैथानी, राजेश सकलानी, दिनेश जोशी, कृष्णा खुराना, समर भंडारी, समीर रतूड़ी, अंतरिक्ष नौटियाल आदि मौजूद रहे।