By Aashish pandey
हर साल दुनियाभर में 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों और कब से इस दिन एक.दूसरे को बेवकूफ बनाने की प्रथा चली आ रही है।
क्या आप जानते हैं कि अप्रैल फूल का दिन एक अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है। किसने चुनी ये तारीख क्या है इसके पीछे की कहानी। आपको बता दें कि इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी छिपी है। आइए आपको बताते हैं कि अप्रैल फूल के पीछे क्या वजह है।
अप्रैल फूल मनाने की परंपरा फ्रांस में राजा के एक अजीबोगरीब फैसले से शुरू हुई थी। दअरसल साल 1582 में यूरोप के राजा पॉप ग्रेगरी 13 ने जनता को आदेश दिया कि यूरोपियन देश को जूलियन कैलेंडर (46 ईसा पूर्व 708 एयूसी में जूलियस सीज़र द्वारा प्रस्तावित जूलियन कैलेंडर रोमन कैलेंडर का एक सुधार था) को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलेगा। इससे बहुत बड़ा फेरबदल हो गया। जनता ही नहीं राजा और प्रशासन के लिए भी नया साल पूरे तीन माह देर से आने लगा।
जनता को एक जनवरी को ही नया साल मनाने की आदत थी। और इसके चलते जनता के बीच विरोध प्रदर्शन हुआ और जनता के एक दूसरे के बीच ही राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। लोग एक दूसरे को राजा बताकर उसके साथ प्रैंक करते और इससे ही अप्रैल फूल मनाने की परंपरा शुरू हो गई। जिसे कई लोगों ने मानने से इंकार कर दिया लेकिन नया साल एक अप्रैल को मनाया जाने लगा।फ्रांस में अप्रैल फूल डे को फिश डे के नाम से मनाया जाता है। इस दिन बच्चे कागज की मछली बनाकर दूसरे बच्चों की पीठ पर चिपका कर उन्हें बेवकूफ बनाते हैं। जबकि जापान और जर्मनी के लोग इस दिन को प्रैंक डे के रूप में मनाते है।
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