चीन ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लिया और इससे निपटने के लिए सख्त उपाय किए। मसलन इलेक्ट्रिक वाहनों को तरजीह दी जा रही है, अब चीन के कई शहरों में चलने वाली सार्वजनिक बसें बैटरी चालित होती हैं। इसके साथ ही चीन सरकार ने बीजिंग में कोयले पर निर्भर हीटिंग सिस्टम को भी बंद कर दिया है। इसके अलावा संबंधित विभागों द्वारा समय-समय पर वृक्षारोपण पर ज़ोर दिया जा रहा है। यहां तक कि नए पार्कों और कृत्रिम झीलों का निर्माण किया गया है
By Anil Azad pandey, Beijing
चीन में पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण संरक्षण को लेकर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। एक वक्त था जब चीन की राजधानी बीजिंग को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक माना जाता था। लेकिन आज स्थिति बदल गयी है। यहां पर रहते हुए मैंने महसूस किया है कि हमें बीजिंग में अब अकसर नीला आसमान देखने को मिलता है।
कहना होगा कि चीन ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लिया और इससे निपटने के लिए सख्त उपाय किए। मसलन इलेक्ट्रिक वाहनों को तरजीह दी जा रही है, अब चीन के कई शहरों में चलने वाली सार्वजनिक बसें बैटरी चालित होती हैं। इसके साथ ही चीन सरकार ने बीजिंग में कोयले पर निर्भर हीटिंग सिस्टम को भी बंद कर दिया है। इसके अलावा संबंधित विभागों द्वारा समय-समय पर वृक्षारोपण पर ज़ोर दिया जा रहा है। यहां तक कि नए पार्कों और कृत्रिम झीलों का निर्माण किया गया है। मैं जिस इलाके में रहता हूं, उसके आसपास ही बड़े आकार के तीन पार्क तैयार किए गए हैं। जहां सैंकड़ों पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जिससे शहर के वातावरण और हरियाली पर बहुत व्यापक असर पड़ा है।
यहां बता दें कि चीन शहरों में प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए शिद्दत के साथ जुटा हुआ है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग बार-बार स्वच्छ हवा, साफ पानी और नीले आसमान की बात करते हैं। इसी दिशा में चीन ने और तत्परता से कदम उठाने का फैसला किया है। चीन के पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक कि वह एक महीने के लिए चीनी केंद्रीय निकायों और सरकारी उद्यमों का निरीक्षण करने के लिए सात नए समूह भेजेगा।
बताया जाता है कि इसका उद्देश्य पिछले साल शुरू किए गए अभियान को आगे बढ़ाना है, जो वर्ष 2022 में पूरा होना है।
ये नए समूह राजधानी बीजिंग, थ्येनचिन, पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत, राष्ट्रीय वानिकी और घास के मैदान प्रशासन, राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन और राज्य परिषद के कुछ विभागों में निरीक्षण करेंगे।
सरकार चाहती है कि विभिन्न उद्यमों में पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अगर इस बाबत कोई कमी रह गयी हो तो उसे कैसे पूरा किया जा सकता है।
मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार ये टीमें मुख्य रूप से यह पता लगाएंगी कि इन क्षेत्रों में स्थित कारखानों की पर्यावरण संबंधी नीतियां केंद्र सरकार की नीतियों से कितना मेल खाती हैं। साथ ही वे पारिस्थितिक और पर्यावरणीय आपात स्थितियों से किस तरह से निपट रही हैं। वहीं उक्त सात ग्रुप समस्याओं के बारे में शिकायतें और रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए मेल बॉक्स और टेलीफोन लाइन भी स्थापित करेंगे।
कहा जा सकता है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर चीन विश्व को राह दिखा रहा है। विशेषकर भारत, ब्राजील जैसे विकासशील देशों को चीन से सीखने की जरूरत है।
लेखक चाइना मीडिया ग्रुप से जुड़े हैं।