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चुनावी घोषणा पत्र में जगह पाने लगा है मातृभाषा को बढ़ावा

रवींद्र सिंह धामी की फेसबुक वॉल से

देश भर के भाषा समर्थकों को प्रणाम। भाषा आंदोलनकारी हर स्तर पर अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त कर भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की मांग निरन्तर उठा रहे हैं। बीते दिनों प्रधानमंत्री के नाम पर खुला पत्र जारी कर भारतीय संस्कृति की वाहक भारतीय भाषाई अस्मिता के संघर्ष को तेज करने की चेतावनी दी थी।

वर्ष 1990 से 98 के बीच जब अधिकांश विपक्ष के नेता, विभिन्न संगठन, बुद्धिजीवी वर्ग का समर्थन मिला तो देश में अंग्रेजियत को बढ़ावा देने वालों के हौंसले टूटे। आज खुशी है कि उस संघर्ष के बाद भारतीयता की जो बयार बही उसका असर देखने को मिल रहा है। मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पर कुछ पहल के बाद ताजा इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई मेन में मातृभाषाओं को बढ़ावा के लिए कई क्षेत्रीय भाषाओं में कराने की पहल मोदी सरकार की ओर से सामने आ रही है।

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ऐसा होने पर छात्र मातृभाषा में बेहतर अंक ला सकेंगे और मातृभाषाएं रोजगार की तो मातृभाषाओं को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल का इस बारे में ट्वीट की मीडिया में चर्चा है। देखना है कि जेईई मेन 2021 में कितना पालन होता है यह आने वाले समय में..लेकिन तब विपक्ष में रहते भाषा आंदोलन का समर्थन करने वाले भाजपा आदि दल केंद्र व कई राज्यों में सत्ता में हैं उम्मीद है यह सार्थक पहल जारी रहेगी। अब तो मातृभाषा को बढ़ावा चुनावी घोषणा पत्र में जगह पाने लगा है। हर दल अपने घोषणा पत्र में इसे शामिल करे तो इसके परिणाम… भाषाई अस्मिता का संघर्ष प्रत्येक सच्चे भारतीय का है, देश को अंग्रेजियत की मानसिक गुलामी से आजादी के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

रवींद्र सिंह धामी, राष्ट्रीय सचिव, भाषा आंदोलन

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