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“अन्नदाता कमज़ोर हो गया तो देश ख़तरे में आ जाएगा”

  • देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पिथौरागढ़ के जन संगठनों का प्रदर्शन
  • कृषि बिलों को बताया किसान विरोधी, वापस लेने की मांग की
  • कृषि बिलों के लागू होने से सरकारी खरीद पर पड़ेगा असर

Report ring desk

पिथौरागढ़। देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पिथौरागढ़ में विभिन्न जनसंगठनों ने प्रदर्शन किया और सभा की। उन्होंने कथित किसान विरोधी कृषि बिलों को वापस लेने की मांग की।

किसान आंदोलन के समर्थन में कलक्ट्रेट परिसर के निकट रामलीला मैदान में शहर के विभिन्न जन संगठनों के कार्यकर्ता जमा हुए। उन्होंने किसानों के आंदोलन को जायज बताया। आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी की।

जनमंच के संयोजक भगवान रावत ने तीनों नए कृषि बिलों को काला क़ानून बताते हुए इन्हें सरकार से वापस लेने की मांग की। कहा कि उत्तराखंड के तराई के किसान भी इस संघर्ष में सीधे शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के हित में क़ानून लाने का सरकार का दावा ग़लत है, स्थिति इसके उलट है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पहुंचे हैं। इस कानून के लागू होने से सरकारी ख़रीद भविष्य में कम हो जाएगी व निजीकरण को बढ़ावा मिलने के संकेत भी हैं।

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पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राकेश जोशी ने कहा कि किसानों की बात सुनी जानी चाहिए, लोकतांत्रिक ढंग से इन बिलों पर खुली वार्ता हो और न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी को लेकर मौखिक रूप से आश्वासन नहीं बल्कि लिखित रूप में कृषि बिलों में शामिल किया जाना चाहिए। किसानों की चिंताएं और मांगे जायज हैं। यही कारण है कि उनको देशभर में समर्थन मिल रहा है

किशोर कुमार जोशी ने कहा कि किसान संगठनों की मांगें जायज़ हैं। किसान को यह अधिकार है कि वह अपनी फ़सल का न्यूनतम दाम हासिल कर सके। किसान का अपने ही देश में ग़ुलाम बन जाना खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा है।

दीपक ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निजीकरण तेज़ करने के बाद सरकार यही कोशिश कृषि क्षेत्र में भी करना चाह रही है। इसका भरसक विरोध होना चाहिए, संविधान सभी को यह हक़ देता है। सूरज ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि
किसान इस देश की रीढ़ हैं। इन क़ानूनों के ज़रिए हमारे अन्नदाता पर हमला किया जा रहा है। अन्नदाता ही कमज़ोर हो गया तो देश ख़तरे में आ जाएगा। अन्य वक्ताओं ने कहा कि कृषि बिल में किसानों व किसान संगठनों की राय को भी शामिल किया जाना चाहिए। सभा में आशीष, मुकेश, दिनेश, जगदीश, आयुष, सागर आदि युवा मौजूद रहे।

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