बिहार और देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने में आया है। कहने में दोराय नहीं कि राजनीतिक दल और नेता अपनी विश्वसनीयता व साख खो चुके हैं। जदयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मार ली है। उन्होंने फिर से भाजपा का दामन थाम लिया है। नीतीश के इस कदम से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी हलचल मच गयी है। खासतौर पर इंडिया गठबंधन जो कि आगामी लोकसभा चुनावों में एनडीए से टक्कर लेने की सोच रहा था, उसे भारी झटका लगा है। इस तरह कहा जा सकता है कि विपक्षी गठबंधन कमज़ोर लगने लगा है। कांग्रेस जो कि विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में थी, उसके लिए भी आगे की राह आसान नहीं है।
हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक बयान देते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन का अंतिम संस्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को रोकने की कोशिश नहीं करती। जिसे पार्टी छोड़कर जाना हो जाए, कांग्रेस एक महान पार्टी है। आचार्य कृष्णम ने कहा कि इंडिया गठबंधन जब से बना है, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। शुरुआत से ही इसमें तरह-तरह के वायरस आए हैं, फिर ये आईसीयू में चला गया और अंतर में वेंटिलेटर पर था। और फिर कल नीतीश कुमार ने इसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। अब इंडिया गंठबंधन का क्या होगा। गौरतलब है कि रविवार को नीतीश कुमार ने राज्यपाल से भेंट कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद भाजपा के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें एक मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्रियों के साथ एनडीए की सरकार बनाने का फैसला लिया गया है। इसके बाद नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

