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वैसे तो चीन कपास उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है। विशेषकर शिनच्यांग के कपास की विश्व के विभिन्न देशों में बड़ी मांग है। कई जाने-माने ब्रांड शिनच्यांग में तैयार कपास से परिधान बनाते हैं। हालांकि चीन के विशाल बाज़ार को देखते हुए कपास की मांग पूरी नहीं हो पाती है, ऐसे में अन्य देशों से कपास आयात करना पड़ता है। चीन कपास को लेकर विदेशी निर्भरता कम करने की मुहिम में जुट गया है। इस बाबत चीन 14वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल देशों के साथ कपास संबंधी सहयोग मजबूत करेगा। चीन का कहना है कि इससे अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की मनमानी से निजात पायी जा सकेगी। चाइनीज़ एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज़ ने हाल में इसकी पुष्टि की।
गौरतलब है कि मध्य एशियाई देशों में कपास उत्पादन को लेकर भारी संभावनाएं हैं। जबकि चीन के व्यापक मार्केट को देखते हुए इन देशों के कपास को उचित दाम मिल सकता है। यहां बता दें कि चीन के टैक्सटाइल उद्योग व कपास उत्पादन के लिए लगभग 2 मिलियन मीट्रिक टन कपास आयात करने की जरूरत होती है। ऐसे में अगर चीन बेल्ट एंड रोड योजना से जुड़े देशों के साथ कपास आयात आदि के समझौते करने में सफल रहता है तो इससे सभी को लाभ होगा।
जानकार कहते हैं कि चीन द्वारा जो नयी पहल प्रस्तुत की गयी है, उसका सीधा असर अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार संघर्ष पर पड़ेगा। इसके तहत चीन को बार-बार अमेरिका की धमकियों से नहीं जूझना पड़ेगा। साथ ही बेल्ट एंड रोड इनिशियिएटिव के कार्यान्वयन को भी मजबूती मिलेगी।
मध्य एशिया में कपास उत्पादन की कितनी संभावना है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक उक्त देशों में कपास का उत्पादन लगभग 2 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में होता है। इतना ही नहीं यहां का मौसम व जलवायु चीन के शिनच्यांग से मिलती-जुलती है। जाहिर है कि शिनच्यांग में कपास तोड़ने आदि के लिए आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर चीन की तकनीक मध्य एशियाई देशों को मिल जाती है, तो उनके उत्पादन में बढ़ोतरी हो जाएगी।
साभार-चाइना मीडिया ग्रुप फोटो-साभार- गूगल