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चीन सरकार पिछले कई दशकों से अपने नागरिकों का जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में गरीबों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला गया। आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि चीन ने आठ दशकों में जितनी बड़ी गरीब आबादी का जीवन बदल कर रख दिया, उतना दुनिया के किसी और देश में नहीं हुआ। बताया जाता है कि पिछले अस्सी वर्षों में चीन में हुए भारी बदलाव और विकास के चलते 80 करोड़ नागरिक गरीबी के दलदल से बाहर निकले। जो कि वैश्विक लेवल पर गरीबी उन्मूलन के स्तर का सत्तर प्रतिशत है।
चीन के बड़े शहरों का दौरा करने पर आप पाएंगे कि यहां बहुत कम गरीब हैं। हालांकि दूर-दराज या ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी गरीबों को देखा जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि चीन ने हाल के वर्षों में देश के गरीब क्षेत्रों की तस्वीर बदलने के लिए कई योजनाएं चलायी हैं। इसमें लोगों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया। कई ऐसे उदाहरण हैं जब केंद्र व स्थानीय सरकार की पहल पर गरीब नागरिकों को जीवन जीने के बेहतर मौके प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही कम विकसित इलाकों में सड़क, पानी, बिजली आदि की व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि देश के पिछड़े इलाके भी विकास की राह पर चल पड़े हैं।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत देश के बड़े नेता गरीब इलाकों का दौरा करते रहे हैं। ताकि विकास की दौड़ में पीछे रह गए ग्रामीण क्षेत्रों को भी खुशहाल बनाया जाय। चीनी राष्ट्रपति कई बार कह चुके हैं कि देश की कोई भी जाति या कोई भी इलाका गरीबी के दलदल में नहीं रहना चाहिए।
इसके साथ ही चीन इस साल को गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने का वर्ष निर्धारित किया है। कुछ महीने पहले आयोजित एनपीसी और सीपीपीसीसी के सम्मेलनों में भी देश से गरीबी को पूरी तरह से हटाने की प्रतिबद्धता जताई गयी।
चीन सरकार की पहल के चलते कई लोग शहरों से गांवों की ओर लौट रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि अब गांवों में भी विकास की बयार बहने लगी है। इसी तरह का एक उदाहरण दक्षिण पश्चिम चीन के क्वेइचो प्रांत के सोंगपा गांव में देखने को मिला। मूल रूप से इस गांव के निवासी वांग चिनथाओ क्वांगतोंग प्रांत के च्यांगमन शहर में एक संचार कंपनी में काम करते थे और उनकी सालाना कमाई लगभग 6 लाख युआन थी। लेकिन लगभग चार साल पहले उन्होंने अपने गांव वापस लौटने का फैसला किया और वहां के लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का मिशन शुरू किया।
उन्होंने अपने गांव में 106 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले पहाड़ी इलाके में एक सूअर पालन फार्म खोला। उनकी मेहनत और सरकार के सहयोग से कुछ ही वर्षों में उनका सूअर पालन फार्म राज्य का सबसे बड़ा फार्म बन चुका है। जहां साल 2016 में उनके फार्म में कुल 20 सूअर थे, लेकिन 2019 के आखिर तक इनकी संख्या 10 हज़ार से अधिक हो गयी। उनके फार्म में कई ग्रामीण लोग काम करते हैं, जिन्हें हर महीने 4 हज़ार युआन से अधिक पैसे मिलते हैं। इस तरह उन्हें अपने ही घर पर काम मिल गया है।
इतना ही नहीँ इस साल के पहले छह महीनों में वांग चिनथाओ के सूअर पालन फार्म द्वारा 27 हज़ार सूअर बेचे गए। अगर साल भर की कमाई का अनुमान लगाएं तो इस अवधि में गांव के तमाम गरीब लोगों को 75 लाख का लाभ होगा।
साभार- चाइना मीडिया ग्रुप
Photo courtesy- Google