नई दिल्ली। बीज उद्योग की शीर्ष संस्था फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया की ओर से एक सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार में बीज और कृषि विशेषज्ञों ने सहयोग बढ़ाने, तिलहन, कपास और मक्ïका में आत्मनिर्भरता लाने, अनुसंधान एवं विकास निवेश को बढ़ावा देने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आर एंड डी) को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सेमीनार को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्या प्रताप शाही ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने पर जोर दिया। शाही ने कहा कि तकनीकी हस्तक्षेप हमारे किसानों के लिए सुविधा और समृद्धि लाने की कुंजी है। उत्तर प्रदेश देश की गेहूं उत्पादन का एक तिहाई योगदान देता है और हम बीज उद्योग में राज्य की विशाल संभावनाओं को पहचानते हैं। योगी आदित्यनाथ जी की सरकार उत्तर प्रदेश में बीज पार्क और उन्नत अनुसंधान के लिए एक सामान्य संसाधन केंद्र स्थापित करने का प्रयास कर रही है, जिसमें निजी बीज उद्योग का समर्थन होगा। यह पहल माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के किसित भारत के दृष्टिकोण के साथ मेल खाती है जिससे यूपी एक विकसित और आत्मनिर्भर कृषि क्षेत्र का केंद्र बनेगा।
भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर झाकर ने भारतीय कृषि की चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग की वकालत की। उन्होंने कहा कृषि अनुसंधान और विकास में निवेश सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है और राज्य और केंद्रीय सरकारों के बीच समन्वय सुनिश्चित करना चाहिए ताकि किसानों के लाभ के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाया जा सके।
कृषि लागत और मूल्य आयोग(सीएसीपी) के अध्यक्ष प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कहा कि कृषि को एक जीविका मॉडल से एक वाणिज्यिक, उद्योग उन्मुख दृष्टिकोण में बदलना होगा। हमें दालों और खाद्य तेल बीजों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें अनुसंधान में निवेश करना होगा और जलवायु प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास करना होगा।
एफएसआइआइ के अध्यक्ष और सवाना सीड्स के एमडी और सीईओ अजय राणा ने टिप्पणीं करते हुए कहा कि इस संक्रमण के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार करने के लिए उचित नीतियों और संस्थानों का विकास, प्रोत्साहक नियामक वातावरण और कृषि और कृषि व्यापार में महत्वपूर्ण सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता है।