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भराड़ीसैंण। पौड़ी जिले के कोटद्वार नगर निगम को अब कण्व नगरी नाम से जाना जाएगा। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद से सटे कोटद्वार का संबंध महर्षि कण्व से भी रहा है।
धार्मिक मान्यता है कि महर्षि कण्व की तपस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार से करीब 14 किलोमीटर दूर है। इसलिए कोटद्वार की पहचान महर्षि कण्व से भी जुड़ी है। इसी के आधार पर कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी रखा गया है।
कौन हैं महर्षि कण्व
कण्व वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का लालन पालन हुआ था। सोनभद्र में जिला मुख्यालय से आठ किलो मीटर की दूरी पर कैमूर श्रृंखला के शीर्ष स्थल पर स्थित कण्व ऋषि की तपस्थली है जो कंडाकोट नाम से जानी जाती है।

