Report ring Desk
नई दिल्ली। अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के वरिष्ठ प्राध्यापक रमेश कांडपाल की पुस्तक ‘मेरे देवदूत’ का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधाशु त्रिवेदी ने रमेश काण्डपाल द्वारा लिखित पुस्तक की महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि अपने अनुभवों से सीखने की तुलना में दूसरों के अनुभवों से सखना अधिक लाभकर है। पश्चिम के जीवन और इतिहास की अवधारणा के इतर उन्होंने भारतीय संस्कृति पर गर्व करने की कई वजहें गिनाई हैं। रामचरित मानस की चौपाइयों का उल्ïलेख करते हुए उन्होंने पुस्तक के कई अनुभवों का जिक्र किया। पुस्तक में रमेश कांडपाल ने लिखा है कि मैं अपने विद्यार्थियों से भी सीखता हूं इसी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ सुधांशु ने वृहदारण्यक उपनिषद का जिक्र किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एकात्म मानव दर्शन के अध्येता व पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ महेश चंद्र शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि रमेश कांडपाल के जीवन के प्रसंग व अनुभव सबके लिए प्रेरक होंगे। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के छोटे छोटे प्रसंग जहां जीवन दिशा बदलेंगे वहीं राष्ट्र भक्ति जिसमें उन्होंने अपनी जीवन यात्रा के छोटे छोटे अनुभवों, प्रसंगों और उनसे हासिल की गई छोटी बड़ी सीखों को एक सूत्र में पिरोया है, अपनी यात्रा के सहयात्रियों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है। उन्हें देवदूत की संज्ञा दी है।
इस अवसर पर उद्योगपति व केएलजे ग्रुप एवं महावीर मैमोरियल के चेयरमैन केएल जैन ने रमेश कांडपाल के साथ अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने अपने उद््बोधन में रमेश कांडपाल को कल्याण मित्र से अलंकृत किया। उन्होंने कहा कि जैन समाज के बाहर से आने के बाावजूद रमेश कांडपाल जैन समाज का अभिन्ïन हिस्सा हैं।