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चीन में दिखाई जाएंगी बॉलीवुड फ़िल्में, इंडिया की पहल पर सिनेमास्कोप शुरू

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इंडियन दूतावास में बर्फी, तारे ज़मीन पर, रॉकस्टार, ब्लैक व माई नेम इज़ ख़ान जैसी सुपरहिट हिंदी फ़िल्में प्रदर्शित की जाएंगी। यह सिलसिला साल 2023 में भारत के एससीओ परिषद का प्रमुख बनने तक जारी रहेगा।

By Anil Azad Pandey, Beijing

शांगहाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के सदस्य देश विभिन्न माध्यमों से संगठन की वैश्विक भूमिका को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसी क्रम में चीन की राजधानी बीजिंग में भारतीय फिल्म सीरीज की शुरुआत की गयी है। शनिवार देर शाम भारतीय दूतावास में एससीओ के महासचिव व्लादिमिर नोरोव व चीनी स्थित भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने सिनेमास्कोप नामक फिल्म श्रृंखला का रिबन काटकर संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। इस दौरान चीन सहित दुनिया के कई देशों में बेहद पसंद की गयी साल 2009 की फ़िल्म, थ्री ईडियट्स फिल्म प्रदर्शित की गयी।

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दूतावास के ऑडिटोरियम में उपस्थित प्रतिनिधियों की ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट बता रही थी कि हिंदी फिल्में विदेशी दर्शकों को कितना प्रभावित करती हैं। वहीं इसी क्रम को जारी रखते हुए अगले साल बर्फी, तारे ज़मीन पर, रॉकस्टार, ब्लैक व माई नेम इज़ ख़ान जैसी सुपरहिट हिंदी फ़िल्में प्रदर्शित की जाएंगी।

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दूतावास रूसी भाषा में डब की गई दो दर्जन से अधिक भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग करेगा, जो लगभग हर महीने प्रदर्शित होंगी। फिल्में दिखाने का यह सिलसिला साल 2023 में भारत के एससीओ परिषद का प्रमुख बनने तक जारी रहेगा।

इस मौके पर एससीओ महासचिव व्लादिमिर नोरोव ने कहा कि सिनेमास्कोप का आयोजन 2021 में मनाए जाने वाले एससीओ संस्कृति वर्ष से मेल खाएगा, क्योंकि अगले साल एससीओ के गठन के 20 साल पूरे हो रहे हैं।

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बकौल नोरोव भारतीय फ़िल्मों विशेषकर बॉलीवुड का वैश्विक प्रभाव बहुत ज्यादा है। इसके साथ ही 2013 में भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने का जश्न मनाया गया। पिछले सौ वर्षों में, भारतीय सिनेमा एक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म से जीवंत, गीत-और-नृत्य से भरपूर फिल्म उद्योग में विकसित हुआ है, जो समाज को मजबूत संदेश देता है। इस दौरान भारतीय सिनेमा ने सीमाओं को पार कर लिया है और अब ये फिल्में न केवल मनोरंजन के रूप में देखी जाती हैं, बल्कि लोगों को जोड़ने का एक शक्तिशाली माध्यम भी बन चुकी हैं।

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एससीओ महासचिव ने आगे कहा कि रूसी भाषा में डब की गयी भारतीय फिल्मों ने सोवियत फिल्म प्रेमियों पर काफी सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है। हम में से कई लोग सोवियत संघ में प्रदर्शित पहली बॉलीवुड फिल्मों में से एक ‘आवारा’ को देखते हुए बड़े हुए हैं। राज कपूर, मिथुन चक्रवर्ती से लेकर अमिताभ बच्चन तक कई भारतीय अभिनेता और अभिनेत्रियों को रूस और मध्य एशिया के घरों में आशावाद का प्रतीक माना जाता है।

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वहीं राजदूत मिस्री ने कहा कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित फिल्म फेस्टिवल के आयोजन को लेकर एससीओ सदस्य देश विचार कर रहे हैं, वहीं दूतावास ने सिनेमा के माध्यम से उक्त देशों के बीच बेहतर संबंध कायम करने के लिए एक छोटी सी शुरूआत की है। photo 5

यह कार्यक्रम गत् 30 नवंबर को एससीओ परिषद के प्रमुखों की बैठक के सफल आयोजन का जश्न मनाने और एससीओ परिवार को साथ लाने का एक नया ट्रैक शुरू करने का एक तरीका है।

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यहां बता दें कि चीन, रूस, भारत व पाकिस्तान सहित 8 देश एससीओ के सदस्य हैं। जबकि कई पर्यवक्षेक देश भी एससीओ की बैठकों में भाग लेते रहे हैं। इस संगठन का मुख्यालय चीन के शांगहाई में मौजूद हैं, इसकी स्थापना साल 2001 में हुई थी।

लेखक चाइना मीडिया ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले 11 वर्षों से चीन में कार्यरत हैं।

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