By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
जहां एक ओर राज्य एवं केन्द्र के बीच उसना चावल को लेकर ज़ारी विवाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा, वहीं दूसरी ओर कालाहाण्डी में विलम्ब से मंडी खुलने के कारण किसान समर्थन मूल्य से कम पर धान बेचने पर विवश हैं, उस पर भी तूफ़ान ज़वाद का क़हर यह कि खलिहान में पड़े धान में नमी बढ़ने के नाम पर उसमें कटनी-छटनी के आसार और बढ़ गये हैं, जिससे किसानों के लिये एक नया सर-दर्द पैदा हो गया है.
वैसे भी ज़िले में अभी मंडियां पूरी तरह न खुलने के कारण विगत दस दिनों में महज़ पचास हज़ार क्विंटल धान ख़रीदी होने का समाचार है. चालू वर्ष बारिश की कमी के चलते धान की पैदावार कम होने के बावज़ूद इस बार रिकॉर्ड पचास लाख क्विंटल उपज होने का अनुमान है और आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनज़र राज्य सरकार ने भी धान ख़रीदी का बड़ा लक्ष्य सामने रखा है. ज्ञातव्य है कि धान ख़रीदी की मुख्य कड़ी मिलर्स होते हैं, परन्तु प्रदेश अथवा केन्द्र द्वारा अपनी चावल क्रय नीति स्पष्ट न किये जाने के कारण किसान एवं मिलर्स उभय पसोपेश में हैं, जिसके चलते मिलर्स धान ख़रीदी में कोताही बरत रहे हैं. उसना चावल ख़रीदी को लेकर बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य संसद के पटल पर भी प्रश्न उठा चुके हैं, परन्तु फिर भी विभागीय मंत्री द्वारा केन्द्र की नीति स्पष्ट नहीं की गयी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार ज़िले में अब तक इक्यासी हज़ार से अधिक किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं और किसानों की सुविधा हेतु कुल दो सौ सात धान क्रय केन्द्र खोले जाने की व्यवस्था भी है, परन्तु देखने में आया है कि पिछले दस दिनों में महज़ चौरासी केन्द्र ही खुल पाये हैं, इस प्रकार धान ख़रीदी में विलम्ब का खामियाज़ा सीधे-सीधे किसानों को भुगतना पड़ रहा है. कुल मिलाकर केन्द्र एवं राज्य की कश्मकश के बीच बेचारा किसान ही पिसने को मज़बूर है.