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इंडियन रेलवे से क्या है चीन का कनेक्शन ?

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By Anil Azad Pandey

चीन का भारी उद्योग बहुत समृद्ध है, यहां से विश्व के विभिन्न देशों के लिए मशीनों का निर्यात होता है। साथ ही चीन से भारत में भी विभिन्न चीजें भेजी जाती हैं। इनमें रेलमार्ग व पटरियों के रखरखाव में अहम योगदान देने वाली मशीनें, बीज बोने वाली मशीनें और ट्रैक्टर आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। हमें आज हूबेइ प्रांत के स्यांगयांग में स्थित दो कम्पनियों के निर्माण केंद्र जाने का अवसर मिला। जो कि भारत को ये मशीनें मुहैया कराती हैं। पहले बात करते हैं, स्रदा भारी उद्योग मशीनरी कम्पनी की। जो कि इंडिया में रेल पटरियों के बचाव और रखरखाव संबंधी रेल की आपूर्ति करती है। हमें बताया गया कि 23 मीटर लम्बी और 60 टन वज़नी यह मशीन एक घंटे में एक किलोमीटर के दायरे में रेल मार्ग को दुरुस्त बना देती है।

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ग़ौरतलब है कि हाल के वर्षों में मोदी सरकार रेल व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में गम्भीरता से जुटी है। इसके तहत ट्रेन स्टेशनों का आधुनिकीकरण, नयी ट्रेनों का संचालन और पटरियों के रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा है। चीन के साथ हुआ करार भी इस बात का द्योतक है।
कम्पनी के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने 2016 से भारतीय रेल मंत्रालय के साथ सहयोग को लेकर सम्पर्क किया। उसके बाद वर्ष 2018 में पहला ऑर्डर हासिल किया। जिसके तहत 6 मशीनें इंडिया भेजने का अनुबंध किया। जो कि लगभग 20 लाख डॉलर का था। इसके पश्चात 2019 में कम्पनी को क़रीब दो करोड़ डॉलर का 33 मशीनों का दूसरा ऑर्डर मिला। फिर 2020 में दस मशीनों का कॉंट्रैक्ट हुआ। इसी बीच कोरोना महामारी के कारण व्यापार में व्यवधान पहुँचा। इसलिए उक्त मशीनें इंडिया जाने के इंतज़ार में कम्पनी के सेंटर में खड़ी हैं। उम्मीद है कि महामारी का प्रभाव ख़त्म होगा और मशीनें इंडिया पहुचेंगी।

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बता दें कि इस कम्पनी की स्थापना 2009 में हुई थी। साल 2011 से दूसरे देशों के साथ सहयोग शुरू किया।जिनमें इथियोपिया, मलेशिया, थाईलैंड, मंगोलिया, इंडिया, ब्राज़ील व वियतनाम समेत 16 देश शामिल हैं। 2017 तक इस कम्पनी ने 600 तरह की मशीनें तैयार की थी। इस कम्पनी में 240 से ज़्यादा कर्मचारी काम करते हैं।

 

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जबकि एक अन्य कम्पनी डेफ़िसेकी भारत को कृषि उपकरण निर्यात करती है।इसमें बीज बोने वाली मशीन प्रमुख है। हर साल कम्पनी सौ से अधिक सीडिंग मशीनें भारत को बेचती है। भारत में इस तरह की तकनीक की काफ़ी ज़रूरत है। क्योंकि ये बहुत कम वक्त में तेज़ी से काम करती है। उदाहरण के लिए मशीन एक घंटे में लगभग डेढ़ एकड़ क्षेत्र में बीज बो देती है, जो कि मैन्यूअल तरीक़े से कहीं ज़्यादा होता है।

ध्यान रहे कि भारत और चीन विकासशील देश हैं, जो कि कई क्षेत्रों में विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल कर तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।

साभार- चाइना मीडिया ग्रुप

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