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पंक्चर की दुकान से मुकेश ने ऐसे हासिल की कराटे में ब्लैक बेल्ट

By Jay Prakash Pandey, Aashish Pandey 

पंक्चर जोड़ने वाले के बारे में सोचें तो आंखों के सामने टायरों की धड़ी, हवा भरने वाली मशीन, स्क्रू डाइवर, मैले कुचैले कपड़े पहने कोई इंसान नजर जाएगा। मगर कुछ लोगों में अपने पेशे के अलावा भी प्रतिभा होती है। उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित रामपुर रोड में गाड़ियों का पंक्चर जोड़ने वाले मुकेश पाल ऐसे ही लोगों में शामिल हैं। वह अपने काम के अलावा कराटे क्लास चलाते हैं। उनकी क्लास में तीस बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं। वह ब्लैक बेल्ट फर्स्ट डेन हैं और सेकेंड डेन के एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं।

बरेली रोड, गौजाजाली निवासी मुकेश, कक्षा 5 से आगे पढ़ाई नहीं कर पाए। पढ़ने, लिखने और खेलने कूदने की उम्र में उनको चाय की दुकान में काम करना पड़ा। इसके बाद भाई के साथ आरा मशीन में काम किया। यहां काम करना आसान नहीं होता है।

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मुकेश कहते हैं कि एक बार हाथ कटने से बाल बाल बचा। इसके बाद यह काम करने में डर लगने लगा। फिर क्या था परिवार का हाथ बढ़ाने के लिए साइकिल की दुकान में काम करने लगा। साइकिल का पंक्चर जोड़ते और हवा भरते कई लोगों से दोस्ती हो जाती है। साइकिल का पंक्चर जोड़ने के लिए आए हमउम्र भास्कर से दोस्ती हो गयी।

भास्कर कराटे सीख रहे थे और मुकेश ने भी उनसे प्रभावित होकर कराटे एकेडमी ज्वाइन कर ली। शुरुआती दौर वर्ष 2013 का था। फिर कराटे को नहीं छोड़ा। कई बार परिस्थितियां अनुकूल न होने पर इंस्टक्टर देवेन्द्र सिंह रावत ने हौंसलाअफजाई की और ब्लैक बेल्ट होने पर खुद की एकेडमी खोलने की राह दिखाई। मुकेश कराटे खेलना और सिखाना ही जीवन लक्ष्य बताते हैं।

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सेंकेंड डेन की तैयारी में जुटे हैं मुकेश

मुकेश क्यूकुशिन कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं। इस बेल्ट के लिए चार साल का प्रशिक्षिण होता है। पूरे दिन के एग्जाम में 20 फाइट होती हैं। जिसमें पांच नाक आउट करना होता है। अब वह ब्लैक बेल्ट सेकेंड की तैयारी कर रहे हैं। यह एग्जाम ब्लैक बेल्ट फस्र्ट केे तीन साल बाद होता है।

अब अगला लक्ष्य पढ़ाई का

मुकेश ने कराटे की जंग तो काफी हद तक जीत ली है अब उनका अगला लक्ष्य पढ़ाई है। मुकेश दोस्तों की मदद से पढ़ाई को भी पूरा करना चाहते हैं। उनका मनना है कि सीखने और पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती है। हालांकि काम की व्यस्तता और कराटे से समय निकाल पाना कठिन काम जरूर है।

जिम में भी करते हैं प्रैक्टिस

दोस्त भास्कर जोशी जिम चलाते हैं। उनके जिम में मुकेश रोजाना प्रैक्टिस करते हैं। मुकेश सुबह पांच बजे जिम जाते हैं और इसके बाद कराटे की पैक्टिस करते हैं। दस बजे से तीन बजे तक पंक्चर की दुकान इसके बाद हफ्ते में चार दिन कराटे क्लास भी चलाते हैं।

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