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पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, झूठे और भ्रामक विज्ञापनों पर लगे रोक

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बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद के विभिन्न उत्पाद तमाम दावों के बावजूद उतने असरदार नहीं लगते। उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद भी कंपनी दावे करना बंद नहीं कर रही है। साथ ही विवादों से पतंजलि का नाता रहा है। इस बीच अब देश की सर्वोच्च अदालत से पतंजलि को कड़ी फटकार लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित और हर्बल प्रॉडक्ट्स का कारोबार करने वाली पतंजलि आयुर्वेद को चेतावनी दी है। अदालत ने कंपनी को कुछ बीमारियों के इलाज के लिए अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे रोकने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं अदालत ने कहा कि यदि पतंजलि की ओर से गलत दावा कर कहा जाता है कि वह संबंधित बीमारी को ठीक कर सकती है, तो हर प्रॉडक्ट पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।

यहां बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका दायर की है। उक्त याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने यह तल्ख टिप्पणी की। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने आईएमए की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोकना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बेहद गंभीरता से लेगी। हालांकि पीठ ने यह चेतावनी मौखिक रूप से दी है।

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गौरतलब है कि रामदेव द्वारा टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ अभियान चलाया गया था। जिस पर आईएमए ने 23 अगस्त, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। आईएमए की याचिका पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी किया था।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अहसानुद्दीन और प्रशांत कुमार की पीठ ने पतंजलि को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह चिकित्सा के माडर्न सिस्टम के खिलाफ बेवजह भ्रम फैलाने वाले दाव न करे और विज्ञापन भी प्रकाशित न करे। इसके साथ ही न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि अगर कंपनी की ओर से गलत दावा किया जाता है कि वह किसी बीमारी का पूर्ण इलाज कर सकती है, तो पीठ प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है।

वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील को इस तरह के भ्रामक स्वास्थ्य संबंधी विज्ञापनों के मसले का समाधान खोजने का निर्देश दिया। ध्यान रहे कि देश में ऐसे कुछ दावे किए जा रहे हैं, जिनमें बीमारियों का सटीक इलाज करने की बात कही जा रही है। इस बारे में अगली सुनवाई अगले वर्ष 5 फरवरी को होगी। इससे पहले आईएमए के वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि इन विज्ञापनों में कहा गया था कि माडर्न(वेस्टर्न) दवाएं लेने के बावजूद डॉक्टर खुद मर रहे हैं। साथ ही कोविड-19 रोधी टीकों और एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल न करने के लिए लोगों को कहा जा रहा है।

गौरतलब है कि पूर्व में भी अदालत रामदेव को इस बारे में चेतावनी जारी कर चुकी है। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश( अब रिटायर हो चुके हैं) एनवी रमना ने कुछ इस तरह की टिप्पणी की थी। बकौल रमना, इन गुरु स्वामी रामदेव को क्या हुआ। हम उनका सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। हम सभी योग करते हैं। लेकिन उन्हें दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। रमना ने आगे कहा कि इस बात की क्या गारंटी है कि वह जिस भी प्रणाली का पालन कर रहे हैं वह आयुर्वेद की होगी। जरा देखिए, इस तरह के विज्ञापन दिए जा रहे हैं, जिनमें सभी डॉक्टरों को हत्यारे कहने का आरोप लगाया जा रहा है।

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