सांस्कृतिक दृष्टि से भारत को उन्नत तथा नये ढंग से सजोकर आने वाली पीढ़ी को सौंपना है: कुलपति वरखेड़ी
Report ring Desk
नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में शिक्षा मन्त्रालय भारत सरकार प्रदत्त क्रियटिंग इन्टेलेक्चुअल हेरिटेज परियोजना की प्रथम बैठक की गई। इसमें सीएसयूए दिल्ली के साथ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी तथा आईआईएम इन्दौर मिल कर संयुक्त रुप से कार्य करेगा। इसमें प्रो बद्री नारायण तिवारी, निदेशक एजीबी पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान प्रयागराज तथा आईआईएम इन्दौर के निदेशक के प्रतिनिधि के रुप में प्रो निशित कुमार सिन्हा तथा अन्य संकाय सदस्यों के अतिरिक्त कुलसचिव प्रो रणजित कुमार बर्मन भी उपस्थित रहे।
कुलपति प्रो वरखेड़ी ने कहा कि इस परियोजना का लक्ष्य सांस्कृतिक दृष्टि से भारत को उन्नत तथा नये ढंग से सजोकर आने वाली पीढ़ी को सौंपना है। साथ ही उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों का करेंट कौरीडोर वस्तुत: भारतीय इतिहास तथा पुराण का ही वर्तमान स्वरूप है। प्रो वरखेड़ी ने यह स्पष्ट किया कि इस योजना के अन्तर्गत विगत आठ वर्षों में धार्मिक तथा सांस्कृतिक चिन्तन में क्या गुणात्मक परिवर्तन आया है और इसका आगामी पच्चीस वर्षों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, उन तथ्यों को भी शोधकर्ताओं को सामने लाना होगा। उन्होंने कहा कि देश का पारंपरिक तथा आधुनिक विश्वविद्यालय इक्_े मिलकर इस तरह का पहला काम कर रहे हैं, आशा की जा सकती है भारत की विविध बौद्धिक परम्परा सामाजिक मेल मिलाप के एक समन्वित बिन्दु पर राष्ट्र निर्माण के लिए कृत संकल्प होंगे। उनका कहना था कि इससे जुड़े डोक्युमेंटशन को तीन चार महीनों में तैयार भी करना है। इन कार्यों में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सोमना, केदारनाथ, श्रीकाशी विश्व नाथधाम तथा उज्जैन (महाकाल)के इतिहास परंपरा तथा इनके प्रबंधनों के इतिहासों को प्रमाणित ढंग से लिखना तथा तीर्थ यात्राओं पर भी ऐसा ही काम करना है। इसी तरह ऐतिहासिक धरोहरों, गांधी जी के 150वां साल, क्रान्ति मंदिर लाल किला के अन्दर सुभाष चंद्र बोस संग्राहालय, जालियां वाला बाग़ कांड तथा 1857के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भी इस परियोजना के अन्तर्गत पुनर्भाषित नवोन्मेषी ढंग से करना है।