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हाल में इटली के मिलान नेशनल केंसर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस चीन के वूहान से बहुत पहले ही इटली में मौजूद था। उक्त संस्थान द्वारा सितंबर 2019 में इकट्ठा किए गए इटली वासियों के रक्त नमूनों में कोरोना वायरस एंटीबॉडी का पता चला है।
शोध में कहा गया है कि इसने संभवतः कोरोना के फैलाव के इतिहास को बदला होगा। वैसे अब तक कोविड-19 महामारी के विश्व में फैलने से पहले इस वायरस से संक्रमण और प्रसार का कोई स्पष्ट सबूत नहीं है।
शोध के अनुसार इटली में कोरोना का प्रसार चीन में सामने आए पहले पुष्ट मामले से कई महीने पहले ही शुरू हो चुका था। रिसर्च के आखिर में इटली के वैज्ञानिकों ने लिखा है कि इटली में फैलने वाला कोरोना वायरस चीन के प्रथम पुष्ट मामलों से भी पहले का है। जिसने कोविड-19 के स्रोत कार्य और वायरस प्रसार के अध्ययन के लिए नया सबूत पेश किया है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कुछ लोगों ने कहा कि कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि पिछले मार्च में यूरोप के बार्सिलोना के अपशिष्ट जल के नमूनों में कोरोनावायरस का पता चला था। वहीं अप्रैल 2019 में अमेरिका में रहस्यमयी ई-सिगरेट संबंधी फेफड़े की बीमारी भी सामने आयी थी। जबकि अमेरिका विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जहां इस रोग की पुष्टि की गयी है। अन्य देशों में इस रोग का कोई भी पुष्ट मामला नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि यह वायरस यूरोप से चीन कैसे आया। कुछ लोगों का कहना है कि शायद पिछले अक्तूबर के वूहान सैन्य खेलों के दौरान वायरस ने चीन में दस्तक दी हो। हालांकि स्पष्ट तौर पर स्टडी के बाद भी कुछ कहा जा सकता है।