– उपनिदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास को सौंपा दस सूत्रीय ज्ञापन
Report ring Desk
देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को लेकर सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया और उपनिदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास उत्तराखण्ड को अपना दस सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला खत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यककर्ता पिछले कई वर्षों से अपनी मांगों एवं समस्याओं को लेकर संघर्षरत हैं। लेकिन सरकार एवं विभाग आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याओं को अनदेखा कर रहा है। उन्होंने कहा कि 20 सितम्बर 2022 को आंगनबाड़ी संघ ने प्रदेश स्तरीय रैली के माध्यम से अपनी समस्याओं को सरकार एवं विभाग के सामने रखा था। तब उच्च अधिकारियों द्वारा उनकी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया गया था और यह भी कहा था कि एक माह के अन्दर समस्याओं का समाधान कर दिया जायेगा। लेकिन आज तक किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

अपने ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि समस्त किराए के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों को शासकीय भवनों में संचालित किया जाए लेकिन विभाग न तो भवन उपलब्ध करा रहा है और न ही कोई दिशा निर्देश दे रहा है जिससे उन्हें मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसके साथ ही उन्होंने नए मैन्यू पर बनाए जाने वाले खाद्य सामग्री की धनराशि बढ़ाने पर भी जोर दिया है।
उन्होंने मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों का उच्चीकरण करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि मिनी आंगनबाड़ी में बच्चे ज्यादा होने और अकेली कार्यकर्ता होने पर उसके लिए ज्यादा काम हो जाता है। इसलिए मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को समान मानदेय दिया जाए।
ज्ञापन में उन्होंने यह भी मांग की है कि एक वर्ष पूर्व उपनिदेशक की ओर से उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले फोन उपलब्ध कराए जाने का आश्वासन दिया गया था और समय पर रिचार्ज की धनराशि देने की बात कही गई थी। लेकिन उन्हें फोन नहीं मिल पाए।
उनका कहना है कि विभाग द्वारा उन्हें जो फोन दिए गए थे उनसे ऑनलान काम करने में बड़ी दिक्ïकत होती है। उनका कहना है कि उन्हें बीएलओ का काम भी दिया गया है जिसमें उन्हें ऑनलाइन काम करना होता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि विभागीय कार्य एवं निर्वाचन कार्य के अतिरिक्त भी उन्हें कई कामों में लगाया जाता है जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक थकान होती है। उनकी ड्यूटी दूसरे कामों में न लगाई जाए।
उनका कहना है कि पोषण अभियान एवं महिला पोषण के तहत दिया जाने वाली सामग्री को आंगनबाड़ी केन्द्रों तक पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। उनका कहना है कि उन्हें खुद इस सामग्री को ढोना पड़ता है जिसमे उनका चार-पॉच सौ रुपए खर्च हो जाते हैं।
उनका कहना है कि कई आंगनबाड़ी मे सहायिका की पद रिक्त है जिन्हे भरे जाने की आवश्यकता है। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने कहा है कि जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका सेवानिवृत्त हो चुके है, काफी समय बीत जाने के बाद भी उन्हें महिला कल्याण कोष से मिलने वाली धनराशि अभी तक नहीं मिल पाई है।

