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पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग है चीन, नहीं करेगा कोई समझौता

चीन लगातार पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए प्रयास कर रहा है। वैश्विक व घरेलू आर्थिक दबाव के बावजूद हरित और स्वच्छ पर्यावरण के लिए चीन कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। गौरतलब है कि चीन के केंद्रीय पर्यावरण निरीक्षण संबंधी विभाग ने प्रॉपर्टी व इमारतों आदि के निर्माण के दौरान पर्यावरण के उल्लंघन को लेकर काफी कड़े नियम बनाए हैं। वैसे रियल एस्टेट सेक्टर चीन के आर्थिक विकास का मुख्य चालक रहा है। जिसमें हाल के समय में कमज़ोरी दिखी है। लेकिन चीन साफ-सुथरा वातावरण तैयार करने के लिए गंभीर दिखता है। यही वजह है कि कई अवैध इमारतें जो कि पर्यावरण के लिहाज से खतरनाक थीं, जिनमें भारी निवेश किया गया था। ऐसी इमारतों को पर्यावरण के लिहाज से उचित नहीं पाया गया, इसके कारण उन्हें ध्वस्त कर दिया गया।

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इसमें हाईनान प्रांत का उदाहरण दिया जा सकता है। जहां कृत्रिम रूप से तैयार ओशन फ्लावर आइलैंड के कई भवनों को गिरा दिया गया। क्योंकि उनके निर्माण में नियमों का उचित ढंग से पालन नहीं हुआ था। इसमें शामिल अधिकारियों को भी दंडित किया गया। इसी तरह अन्य जगहों पर भी पर्यावरण संबंधी नियमों के साथ खिलवाड़ करने वालों के साथ सरकार ने कोई नरमी नहीं दिखाई। इनमें शानतोंग प्रांत के चीनान व युन्नान प्रांत के खुनमिंग में नियमों का पालन न करने पर इमारतों को तोड़ दिया गया। जाहिर है कि बड़ी-बड़ी इमारतें जिनके निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं, उनको गिराने से आर्थिक नुकसान जरूर होगा। पर चीन सरकार का दावा है कि वह पर्यावरण बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

ध्यान रहे कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग विभिन्न मंचों से जलवायु परिवर्तन के निपटारे के लिए अपील करते रहे हैं। इतना ही नहीं योजनाएं तैयार करते समय भी चीन अपनी जिम्मेदारी दिखाता है।

गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया सूखा, बाढ़ व हिमस्खलन आदि प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रही है। हाल के महीनों में कई देशों में भारी बाढ़ आयी, जिसमें जान-माल का काफी नुकसान हुआ। वहीं तूफान, ज्वालामुखी आदि ने भी परेशानी बढ़ायी है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आगामी दो दशकों में धरती के तापमान में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। जो कि आपदा के रूप में सामने आ सकता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि चीन उक्त चुनौतियों से वाकिफ है। इसे देखते हुए चीन ने वर्ष 2030 से पहले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के स्तर को चरम पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। साथ ही 2060 से पहले कार्बन तटस्थता का लक्ष्य हासिल करने पर भी पूरा जोर है।

(Anil pandey, China Media Group, Beijing)

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