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प्राथमिक शिक्षक के लिए बीएड जरूरी नहीं, 3253 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ

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देहरादून।  धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा सेवा नियमावली 2012 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे प्रारंभिक शिक्षा में शिक्षकों के 3253 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया। राजकीय प्राथमिक शिक्षा सेवा नियमावली को लेकर कैबिनेट में आए प्रस्ताव में कहा गया कि राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पारित 11 अगस्त 2023 के आदेश में एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया कि एनसीटीई ने सभी राज्यों को प्रकरण में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस पर सहायक अध्यापक प्राथमिक पद के लिए तय अर्हताओं में से बीएड योग्यता को हटाते हुए प्राथमिक शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

बेसिक शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल के मुताबिक, शासन से भर्ती के संबंध में आदेश मिलने ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा में बेसिक के शिक्षकों के पदों पर भर्ती पिछले तीन साल से भी अधिक समय से लटकी है। शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 व 2021 में सहायक अध्यापक के दो हजार से अधिक पदों के लिए आवेदन मांगे थे।

इस बीच विभाग में कुछ अन्य पद भी खाली हो गए, लेकिन पहले एनआईओएस से डीएलएड और फिर बीएड की वजह से शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया लटकी रही। पहला मामला 15 जनवरी 2021 का है। जब शासन ने शिक्षकों की इस भर्ती में एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का आदेश कर दिया था। इस पर बड़ी संख्या में एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन किया।

इन अभ्यर्थियों के आवेदन करने के बाद शासन ने 10 फरवरी 2021 को एक अन्य आदेश जारी कर 15 जनवरी 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। वहीं, एक अन्य मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने फिर हाईकोर्ट ने 14 फरवरी 2023 को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बीएड अभ्यर्थियों को बाहर करने का आदेश कर दिया, जिससे शिक्षकों की भर्ती कानूनी दांव पेच में उलझी रही।

 

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