By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
अभी तीन दशक पहले तक एक समय था कि जब कालाहाण्डी को अकाल और भुखमरी का पर्याय माना जाता था, परन्तु अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है तथा धान के साथ-साथ, मक्का एवं कपास आदि का भी इतना उत्पादन होने लगा है कि अपनी स्थानीय आवश्यकताएं पूरी करने के साथ-साथ अब इन वस्तुओं का देश के अन्य भागों तथा विदेशों को भी निर्यात किया जाने लगा है। बांग्लादेश के लिये जूनागढ़ रेलवे स्टेशन से लोड होने वाली कपास की पहली खेप के लिये जूनागढ़ क्षेत्र के अलावा केसिंगा, बलांगीर तथा बरगढ़ आदि इलाके से भी कपास एकत्र की गयी है। इसके मुख्य ट्रांसपोर्टर जूनागढ़ के मारुति एसोसिएट के संचालक मुकेश अग्रवाल ने बतलाया कि बांग्लादेश के लिये कपास का निर्यात पहली बार किया जा रहा है, परन्तु यहाँ से मक्का का निर्यात पहले से होता आ रहा है।

उन्होंने यह भी बतलाया कि जूनागढ़ स्टेशन से बांग्लादेश को कपास के साथ-साथ आज ही वियतनाम के लिये भी मक्का की खेप भी भेजी जा रही है, जो कि यहां से मालगाड़ी के ज़रिये विशाखापटनम तथा फिर वहां से समुद्री जहाज़ के ज़रिये वियतनाम जायेगी।
पूर्व-तट रेलवे सम्बलपुर मण्डल के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मण्डल के जूनागढ़ रोड़ स्टेशन से आज 24 फ़रवरी को बांग्लादेश के लिए कपास की एक रेक भेजी गई है, जिसके लिये मण्डल पिछले काफी समय से प्रयासरत था।
इस सीजन में कपास की यह पहली रेक संबलपुर मंडल के जूनागढ़ रोड स्टेशन से बांग्लादेश के बेनापोल के लिये लोड की गई है, जिसमें कुल 42 बीसीएन वैगन के साथ कुल वज़न कोई 2471 टन है। ज्ञातव्य है कि देश-विदेश के लिये कपास तथा अन्य उत्पादों का रेलमार्ग द्वारा परिवहन एक तेज़ और सुरक्षित तरीका है, जो कि आयातक के लिए भी आर्थिक रूप से फायदेमंद और किफ़ायती है।
कपास की पहली खेप को रवाना करते समय मंडल रेल प्रबंधक प्रदीप कुमार ने बांग्लादेश के लिए यातायात शुरू होने पर भी प्रसन्नता ज़ाहिर की और इस सफलता पर मंडल के तमाम अधिकारी और कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की। उल्लेखनीय है कि रेलवे द्वारा व्यापार विकास इकाई की स्थापना के बाद, परिवहन के सबसे सुरक्षित और सस्ते तरीके के लिए रेलवे द्वारा अपनाई गई नीतियों और प्रोत्साहनों की जानकारी के विस्तार हेतु माल ढुलाई ग्राहकों के साथ नियमित तौर पर संवाद कायम रखने की बात कही गयी है।

