- कंटेनमेंट जोन होने के कारण अपने पिता के श्राद्ध को लेकर असमंजस में थे पूर्व सैनिक
- भतीजे ने पंडित को अपने घर बुलाकर मोबाइल से कराया ऑनलाइन श्राद्ध
By Naveen Joshi
खटीमा। वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से जहां एक तरफ शादी-विवाह जैसे धार्मिक आयोजनों को विराम लग गया है, वहीं दूसरी तरफ पूर्वजों के श्राद्ध ऑनलाइन कराने पड़ रहे हैं। शहर से करीब सात किमी दूर चकरपुर के पचौरिया गांव निवासी पूर्व सैनिक दयाकिशन जोशी (65) ने बुधवार को अपने पिता का श्राद्ध ऑनलाइन कराया, क्योंकि पड़ोस में कोरोना पाॅजिटिव निकलने से प्रशासन ने उनके गांव को कंटेनमेंट जोन में तब्दील कर दिया है।
इस समय कोरोना महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। इस बीमारी की वजह से मार्च से लाॅकडाउन शुरू हुआ, जो वर्तमान में अनलाॅक में तब्दील हो गया है। इसी के साथ मार्च से ठप पड़ी गतिविधियां अनलाॅक में कुछ चलने लगी हैं, लेकिन धार्मिक आयोजन अब भी शुरू नहीं हो पाए हैं। इस बीच दो सितंबर से महाल्या पार्वण श्राद्ध शुरू हो चुके हैं, जो 17 सितंबर को समाप्त होंगे, लेकिन कोरोना का कहर श्राद्धों पर भी पड़ा है।
क्योंकि कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कोरोना संक्रमित व्यक्ति पाए जाने पर प्रशासन द्वारा संबंधित इलाके को सील किया गया है। वहां न तो बाहर से किसी को अंदर आने दिया जा रहा है और न अंदर से किसी को बाहर जाने की इजाजत है। ऐसे में पूर्वजों के श्राद्ध कैसे होंगे, इसे लेकर काफी लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हैं, इन सबके बीच कुछ लोगों ने पूर्वजों का ऑनलाइन श्राद्ध कर समस्या का हल निकाल लिया है।
पचौरिया गांव निवासी पूर्व सैनिक जोशी ने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाला एक युवक कोरोना पाॅजिटिव निकला था, जिस कारण 4 सितंबर को स्थानीय प्रशासन ने उनके इलाके को सील कर कंटेनमेंट जोन बना दिया है, इससे उनके समक्ष अपने पिताजी का श्राद्ध करने का संकट खड़ा हो गया था। उनके पिताजी का श्राद्ध बुधवार को सप्तमी के दिन था, ऐसे में कंटेनमेंट जोन में पंडित को कैसे बुलाया जाए, यह बड़ी समस्या थी। इस पर उनके भतीजे चकरपुर हनुमानगढ़ी निवासी मुन्ना जोशी ने गन्ना सेंटर निवासी पंडित हरीश चंद्र जोशी को अपने घर बुलाया और मोबाइल फोन की मदद से उनके पिताजी का ऑनलाइन श्राद्ध कराया।
पंडित हरीश चंद्र जोशी ने बताया कि इस बार के श्राद्धों में उन्होंने बुधवार को पहला ऑनलाइन श्राद्ध किया। पंडित जोशी ने बताया कि अगर इस तरह कोई बड़ी परेशानी सामने आ जाए तो ऑनलाइन श्राद्ध किया जा सकता है, इससे भी श्राद्ध का असली मकसद पूरा हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे रोज सात से आठ श्राद्ध कर रहे हैं। अब तक 50 से 60 श्राद्ध कर चुके हैं।